जालोर.जिला मुख्यालय से आहोर जाने वाले सड़क मार्ग लेटा रेलवे क्रॉसिंग पर जल्द ही ओवरब्रिज बनने जा रहा है. सरकार की ओर से ओवरब्रिज बनाने की मांग को मंजूरी दे दी गई है. ओवरब्रिज बनाने संबंधी कागजी कार्यवाही भी पूरी कर ली गई है जिससे शहर के लोगों में उत्साह दिख रहा है. 2015 के बजट में इस ओवरब्रिज को बनाने की घोषणा हुई, लेकिन सरकार के उदासीन रवैये के चलते पांच साल तक योजना की फाइल सरकारी दफ्तरों में धूल फांकती रही. लेकिन अब जालोर वासियों का इंतजार खत्म होता नजर आ रहा है. सब ठीक रहा तो जल्दी ही ओवरब्रिज निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा.
जालोर में ओवरब्रिज निर्माण को मिली मंजूरी पिछले 20 सालों से जालोर के लोग लेटा रेलवे क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज बनाने की मांग कर रहे थे, लेकिन इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जा रहा था. एक दशक पहले ब्रॉडगेज लाइन का कार्य पूरा होने के बाद इस रेलवे लाइन पर मालगाड़ियों की आवाजाही बढ़ गई थी. इस कारण प्रति दिन घंटों फाटक बंद होने के कारण दोनों तरफ वाहनों की कतार लगी रहती है जिससे परेशानियां बढ़ गईं हैं. इसके बाद ओवरब्रिज को लेकर जालोर वासियों ने अभियान चलाकर बनाने की मांग की तो 2013 में जालोर आहोर सी-48 फाटक पर टीवीयू सर्वे करवाया गया था जो सकारात्मक रहा था.
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6 जनवरी 2015 को जिला प्रशासन ने आरओबी के लिए प्रस्ताव बनाकर रेलवे को भेजा था. उसके बाद रेलवे की ओर से स्वीकृति के लिए प्रस्ताव हेड क्वाटर भेजा था. 27 जनवरी 2015 को जयपुर में राजस्थान के मुख्य सचिव के सामने भी तात्कालीन कलेक्टर ने मुद्दा उठाया था. इसके बाद 2015 के रेलव बजट में 19 आरओबी स्वीकृत किए गए थे. इसमें जालोर का ओवरब्रिज शामिल था, लेकिन घोषणा के बावजूद कई प्रकार की कमियों के कारण कागजी कार्य पूरे नहीं हो पाए थे. इस कारण यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया.
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विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने भी अपने घोषणा पत्र में इसको शामिल किया था और बाद में लोकसभा चुनाव के समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ओवरब्रिज बनाने की घोषणा दूसरी बार की थी. उसके बाद ठप पड़ी कागजी प्रक्रिया को पीडबल्यूडी विभाग ने हाथ में लिया और ओवरब्रिज की डिजाइन के लिए रेलवे की कंस्ट्रक्शन टीम को जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग (जीएडी) के लिए फाइल भेजी, लेकिन रेलवे अधिकारियों ने इस फाइल पर नजर नहीं डाली. अलग-अलग कारण बताकर चार बार डिजाइन को वापस लौटाया गया.
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इस खींचतान के बीच 3 जनवरी 2020 को पीडबल्यूडी विभाग ने इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को नेशनल हाइवे अथॉरिटी को सुपुर्द कर दिया. करीब तीन महीने तक फाइल अटकाए रहने के बाद नेशनल हाइवे के एक्सईएन जेपी माथुर ने जालोर जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता को पूरे मामले की जानकारी दी. इसके बाद जिला कलेक्टर ने इस संबंध में रेलवे के डीआरएम को अवगत करवाया जिसके बाद 10 जुलाई 2020 को रेलवे की इंजीनियरिंग टीम को भेजा गया. इसी दिन तमाम तरह की आपत्तियों को लेकर चर्चा की गई, जिसमें जालोर प्रशासन के साथ एनएस के अधिकारी भी मौजूद रहे. इस पूरी कागजी कार्यवाही के बाद अब रेलवे ने जीएडी को मंजूरी दे दी है. माना जा रहा है कि जीएडी की रिपोर्ट सबमिट होने के बाद एनएस अथॉरिटी द्वारा भेजी गई डिजाइन अप्रूव हो जाएगी और जल्दी टेंडर प्रोसेस भी पूरा हो जाएगा.
एक किमी लंबा होगा फोरलेन ओवरब्रिज
विभाग की ओर से बनाई गई डिजाइन के अनुसार इस ओवरब्रिज की लंबाई एक किमी है. जिसमें 480-480 मीटर के दो पोर्शन हैं. इसके अलावा यह ओवरब्रिज टू लेन की जगह फोरलेन में होगा. जिससे आम लोगों को आवागमन में परेशानी नहीं होगी.
शहरवासियों ने जताई खुशी
ओवरब्रिज को लेकर लंबे समय से चल रही खींचतान के बाद अब फाइनल जीएडी को मंजूरी दे दी गई है. इसके बाद शहरवासियों ने खुशी जाहिर की है. शहर के लोगों ने बताया कि मालगाड़ियों के कारण हर घंटे 15 मिनट तक फाटक बंद रहता है. ऐसे में फाटक के दोनों तरफ लम्बी लाइनें लग जाती थीं, लेकिन ओवरब्रिज बनने से लोगों को इंतजार नहीं करना पड़ेगा.