जालोर: जिले में एक तरफ किसान बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. जगह-जगह पानी को लेकर धरना प्रदर्शन करके नर्मदा नहर के अंतिम टेल तक पानी पहुंचाने की मांग कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ संवेदनहीनता का नमूना पेश करते हुए नर्मदा विभाग के अधिकारियों द्वारा पानी को फालतू में व्यर्थ बहाया जा रहा है. व्यर्थ बहाए पानी से किसानों को नुकसान भी हो रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की कुम्भकर्णी नींद नहीं खुल रही है. सांचोर और चितलवाना उपखण्ड के गांवों से होकर निकलने वाली नर्मदा नहर के आसपास रहने वाले किसान परेशान है. किसान रवी की फसल के लिए सिंचाई के लिए पानी की मांग कर रहे हैं, लेकिन विभाग के अधिकारी नहर के अंतिम टेल तक पानी नहीं पहुंचा रहे हैं. नतीजा फसल बर्बादी के कगार पर हैं.
खुली जमीन में छोड़ा जा रहा है नर्मदा का पानी:
जिले में पानी को लेकर मारा मारी मची हुई है. सांचोर उपखंड मुख्यालय पर किसानों ने 7 दिन तक भूख हड़ताल कर पानी देने की मांग कर चुके है, लेकिन नर्मदा विभाग पानी नहर की टेल तक नहीं पहुंचा पाया है. वहीं दूसरी तरफ एस्केप चेनल से पानी को खुली जमीन में छोड़ा जा रहा है. किसानों की सूचना पर ईटीवी भारत की टीम जायजा लेने पहुंची तो चौकाने वाली जानकारी सामने आई. एक जगह किसान पानी के लिए भूख हड़ताल कर रहे थे, जबकि दूसरी खरड़ के पास पानी खुली जमीन में छोड़ा जा रहा था. ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि किसान पानी के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे है तो एस्केप चेनल से अनावश्यक पानी को खुले में क्यों छोड़ा जा रहा है.