जालोर. गर्मी के मौसम में जिले के ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल की किल्लत नहीं हो, इसके लिए कई प्लान बनाए जाते हैं. राज्य सरकार इस पर करोड़ों रुपए भी खर्च करती है. ताकि लोगों को हलक तर करने के लिए पानी उपलब्ध हो सके. लेकिन जलदाय विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण सरकार और जिला प्रशासन के प्रयास बीच में ही दम तोड़ देते हैं.
सरकार द्वारा लोगों के घरों तक पानी पहुंचाने के बड़े-बड़े दावे किए जाते है, लेकिन धरातल स्तर पर जाकर देखा जाए तो इन दावों की हवा निकल जाती है. इन दावों की सच्चाई जानने के लिए गर्मी का मौसम शुरू होते ही ईटीवी भारत की टीम जिला मुख्यालय से करीबन 200 किमी दूर चितलवाना उपखण्ड के सुराचंद ग्राम पंचायत मुख्यालय पहुंची. यहां पर राजीव गांधी सेवा केंद्र के सामने से पानी लेने के लिए महिलाओं का एक समूह खाली मटके लेकर जाता नजर आया.
15 सालों से पानी नहीं आया
2 किमी पैदल चलने के बाद दो कुंए मिले, जहां पर महिलाओं की भीड़ इकठ्ठी हो रखी थी. महिलाओं ने ईटीवी भारत को बताया कि गांव में पिछले 15 सालों से पानी की सप्लाई नहीं हुई है. जो जीएलआर बनाया हुआ है, वह भी पूरी तरह जर्जर हो चुका है.
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गांव में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. सुबह जल्दी उठकर पानी लेने के लिए अपने घरों से निकलना पड़ता है. करीब 12 बजे तक दो किमी दूर से पानी सिर पर उठाकर लाना पड़ता है. तब जाकर घर में कोई काम हो पाता है. इसके बाद फिर हम दोपहर को घर का सारा काम पूरा करने के बाद शाम 4 बजे से वापस पानी लाने के लिए निकलना पड़ते हैं. हमें वापस आते-आते 7 से 8 बज जाते हैं.