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तुच्छ राजनीतिक लाभ के लिए महाराणा प्रताप के गौरवशाली इतिहास से छेड़छाड़ कर रही कांग्रेस: विधायक देवल

राजस्थान बोर्ड के स्कूली पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप के इतिहास के साथ की गई छेड़छाड़ को लेकर रानीवाड़ा विधायक नारायण सिंह देवल ने राजस्थान सरकार के शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने महाराणा प्रताप के इतिहास को ठीक करने की मांग की है.

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महाराणा प्रताप के इतिहास से छेड़छाड़ पर भड़के नारायणसिंह देवल

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Published : Jun 26, 2020, 6:26 PM IST

रानीवाड़ा (जालोर). राजस्थान बोर्ड की कक्षा 10 के स्कूली पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप के इतिहास के साथ की गई छेड़छाड़ को लेकर रानीवाड़ा विधायक नारायण सिंह देवल ने शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा है.

रानीवाड़ा विधायक नारायण सिंह देवल ने राजस्थान सरकार के शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि, राजस्थान बोर्ड की कक्षा 10 के स्कूली पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप के इतिहास के साथ जो छेड़छाड़ की गई है, वो कांग्रेस सरकार की सोची समझी साजिश के तहत किया गया है. वरना जिस महाराणा प्रताप ने अपनी आन, बान और शान के साथ कभी भी किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया.

नारायण सिंह देवल ने शिक्षा मंत्री को लिखा पत्र

उन्होंने बताया कि जिसने जंगलों में रहना स्वीकारा, घास की रोटी खानी मंजूर की परन्तु अपने स्वाभिमान पर कभी कोई आंच नहीं आने दी. शौर्य और स्वाभिमान के ऐसे दैदीप्यमान हिन्दूआ सूरज परम प्रतापी महाराणा प्रताप के गौरवशाली इतिहास से कांग्रेस सरकार तुच्छ राजनीतिक लाभ के लिए छेड़छाड़ कर भावी पीढ़ी को गलत इतिहास पढ़ाने जा रही है. ये राजस्थान की आन, बान और शान के प्रतीक वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप का ही नहीं, बल्कि राजस्थान की 7 करोड़ जनता का अपमान है. जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. राजस्थान की जनता कांग्रेस सरकार के इस घटिया मानसिक दिवालियापन का जवाब जरूर देगी.

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देवल ने कहा कि जिस महाराणा प्रताप का नाम विदेशों में भी पूरे आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है. ऐसे महापुरुष का राजस्थान की कांग्रेस सरकार अपमान करने में लगी है और सत्ता के नशे में चूर सरकार चुपचाप इस घिनौने कृत्य पर आंखे मूंद कर बैठी है. अगर इस सरकार का ये ही रवैया रहा तो वो दिन दूर नहीं जब हमारी भावी पीढ़ी अपने गौरवशाली इतिहास पर गर्व महसूस करने के स्थान पर शर्मिन्दगी महसूस करेगी. जिससे आने वाली पीढ़ी कभी भी गुलाम मानसिकता से बाहर नहीं आ पाएगी. ये सरकार हमारी भावी पीढ़ी को इज्जत और स्वाभिमान के साथ जीने के स्थान पर गुलामी और कुंठा से भरना चाहती है. अगर पाठ्यक्रम में तुरन्त बदलाव नहीं किया गया तो, इस मामले को विधानसभा में पूरजोर तरीके से उठाया जाएगा और इसे जन आन्दोलन बनाया जाएगा.

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