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जालोरः आरपार की लड़ाई के मूड में किसान, हजारों की संख्या में करेंगे पैदल मार्च, होली भी नहीं मनाएंगे

जालोर में पिछले एक सप्ताह से महापड़ाव डाल कर धरना प्रदर्शन कर रहे किसान अब सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं. अब किसान सरकार को जगाने के लिए गुरुवार दोपहर को ढोल, नगाड़ा और थाली बजाते हुए दादाल से बागोड़ा उपखण्ड मुख्यालय तक हजारों किसान पैदल मार्च निकलेंगे.

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किसान नहीं मनाएंगे होली का त्योहार

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Published : Mar 5, 2020, 2:16 PM IST

जालोर. जिले के बागोड़ा क्षेत्र के दादाल गांव में भारत माला परियोजना के तहत प्रस्तावित एक्सप्रेस वे के विरोध में किसान पिछले एक सप्ताह से महापड़ाव डाल कर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. जयपुर सचिवालय में सार्वजनिक निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव वीनू गुप्ता से वार्ता के बावजूद सकारात्मक जवाब नहीं मिलने से आक्रोशित किसान अब राज्य सरकार के खिलाफ आरपार की लड़ाई लड़ने का मूड बना चुके है.

किसान नहीं मनाएंगे होली का त्योहार

ऐसे में अब किसानों सरकार को जगाने के लिए गुरुवार दोपहर को ढोल, नगाड़ा और थाली बजाते हुए दादाल से बागोड़ा उपखण्ड मुख्यालय तक हजारों किसान पैदल मार्च निकलेंगे. साथ ही किसानों ने ये ऐलान भी किया है कि, जालोर, बाड़मेर, हनुमानगढ़, बीकानेर और गंगानगर के किसान होली का त्योहार भी नहीं मनाएंगे. 9 मार्च से हजारों की संख्या में किसान सामूहिक अनशन शुरू करेंगें.

किसान नेता रमेश दलाल ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि, ये गांधी जी की कांग्रेस हो ही नहीं सकती. जो गांधीवादी किसानों की बात सुनने को तैयार ही नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रदेश की सरकार का रुख किसानों के प्रति नकारात्मक है, जिससे किसान आहत है. अगर इसी प्रकार किसानों की वाजिब मांगों को लेकर सरकार गंभीर नहीं हुई तो शुक्रवार को जयपुर में राज्यपाल को विधवा और विकलांग किसान सहित हजारों किसान ज्ञापन देंगे. जिसमें जमीन अधिग्रहण अधिनियम 2013 की धारा 84, 85 और 87 के तहत दोषी अधिकारियों के विरोध में एफआईआर दर्ज करवाने की मांग की जाएगी.

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यह रहेगी आगे की रूप रेखा

किसानों का कहना है कि, अपनी जमीन बचाने के लिए किसान एक सप्ताह से महापड़ाव डालकर बेठे है, लेकिन सरकार किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है. जिसके कारण किसान महापड़ाव में आगे 7 और 8 मार्च को मौन धारण करके महापड़ाव में शामिल होंगे और 9 से सामूहिक अनशन शुरू करेंगे. इन मांगों के अलावा राष्ट्रपति से 5 हजार किसानों ने ईच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है. इसी मांग को लेकर किसान एक बार फिर 6 मार्च को राज्यपाल से मिलेंगे.

यह है किसानों की मांग

किसानों की मांग है कि, फसली सिंचित भूमि छोड़कर असिंचित कृषि भूमि से एक्सप्रेस वे निकाला जाए, मेगा हाईवे से सिणधरी रामजी का होते हुए परियोजना की सड़क को नेशनल हाईवे 68 पर ले जाया जाए, भारतमाला के सर्वे में नर्मदा नहर प्रभावित होती है, सर्वे में जगह-जगह मोड दिए गए, जिसके कारण इस सर्वे को बदला जाए. भूमि अवाप्ति के बाद एक्सप्रेस वे बनने से हजारों किसानों के खेत दो भागों में विभाजित हो जाएंगे. ऐसे में किसानों के आवागमन के लिए ओवरब्रिज बनाया जाए, साथ में एक्सप्रेस वे रोड के दोनों तरफ लिंक रोड बना कर किसानों को खेत में आने-जाने की व्यवस्था की जाए और भारतमाला परियोजना के तहत अवाप्त जमीन का बाजार दर पर किसानों को मुआवजा दिया जाए.

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