रानीवाड़ा (जालोर).जिले में सिरोही लोकसभा सांसद देवजी पटेल ने सोमवार को संसद में नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के संबंध में प्राप्त सुझावों पर क्रियान्वयन करने की मांग रखी. सांसद देवजी पटेल ने लोकसभा में प्रश्नकाल के तहत शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से प्रश्न करते हुए कहा सरकार शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के दौरान देश में नई शिक्षा नीति कार्यान्वित करने के लिए गंभीर हैं.
इस संबंध में राज्य सरकार, शिक्षाविदों और अन्य हितधारकों से बड़ी संख्या में सुझाव प्राप्त हुए हैं, जिसका सरकार की ओर से इन प्राप्त सुझावों पर कार्रवाई की जाए. सरकार की ओर से सभी को शिक्षा प्रदान करके शिक्षा के अधिकार को सशक्त करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाए.
सांसद पटेल के प्रश्न का उत्तर देते हुए शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ’निशंक’ ने बताया कि देश में नई शिक्षा नीति के संबंध में राज्य सरकारों सहित सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद नई शिक्षा नीति-2020 को अंतिम रूप दिया गया हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार नीति के कार्यान्वयन के लिए कई पहल और कार्यों की आवश्यकता होती हैं, जिन्हें विभिन्न निकायों को एक समन्वित और व्यवस्थित तरीके से करना होता हैं.
पढ़ें-जालोर में कांग्रेस पार्षदों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, सफाई व्यवस्था सुधारने की मांग
शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखकर नई शिक्षा नीति 2020 के किर्यान्वयन के लिए कहा गया हैं. विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श और एनईपी-2020 के कार्यान्वयन के उद्देश्य से शिक्षा मंत्रालय 8 सितम्बर से 25 सितम्बर, 2020 सुझाव प्राप्त करने के लिए ’शिक्षक पर्व’ का आयोजन कर रहा हैं. शिक्षा मंत्रालय ने उच्चतर शिक्षा में परिवर्तन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भूमिका’ पर राज्य के राज्यपालों/उप-राज्यपालों और शिक्षा मंत्रियों का एक सम्मेलन भी आयोजन किया हैं.
सम्मेलन में राज्य के राज्यपालों और लेफ्टिनेंट गवर्नर, राज्यों के शिक्षा मंत्री, राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और अन्य गणमान्य लोगों ने भाग लिया. एनईपी-2020 पर विभिन्न हितधारकों की सकारात्मक प्रतिक्रिया के साथ इनका व्यापक प्रचार किया गया हैं.
शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया कि सरकार शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हेतु प्रतिबद्ध हैं. निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम 1 अप्रैल 2010 से लागू है. ये अधिनियम प्राथमिक शिक्षा को 6-14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित करता है. भारत सरकार ने पूर्व की तीन केन्द्र प्रायोजित योजनाओं - सर्व शिक्षा अभियसान (एसएसए), राष्ट्रीय मध्यम शिक्षा अभियान (आरएमएसए) और शिक्षक शिक्षा (टीई) रद्द करके वर्ष 2018-19 से स्कूल शिक्षा की एक एकीकृत योजना-समग्र शिक्षा की शुरूआत की है.
पढ़ें-Special: हादसों के बावजूद नहीं चेत रहा डिस्कॉम, बिना सुरक्षा उपकरण चल रहे है 22 जीएसएस
ये योजना आरटीई अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों को समर्थन प्रदान करती हैं. एनईपी-2020 में देश के सभी बच्चों को प्री-स्कूल से कक्षा 12 तक व्यावसायिक शिक्षा सहित गुणवत्तायुक्त समग्र शिक्षा प्राप्त करने के लिए सार्वभौमिक पहुंच और किफायती अवसर प्रदान करने की व्यवस्था की गई है.