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दोहरी मार झेल रहे किसानों का छलका दर्द, बोले- खुद को कोरोना से बचाएं या फसलों को टिड्डियों से

जालोर में रानीवाड़ा क्षेत्र के कई गांवों में एक बार फिर टिड्डी दल ने हमला कर दिया है. यह टिड्डियों का दल रानीवाड़ा तहसील के कुड़ा, पाल, हिरपुरा सहित कई गांवों में किसानों की फसलों को नष्ट कर रही हैं. ऐसे में रानीवाड़ा क्षेत्र में एक बार फिर से किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं और उनमें मायूसी छा गई है.

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Published : Jun 15, 2020, 7:17 PM IST

जालोर समाचार, jalore news
रानीवाड़ा क्षेत्र में एक बार फिर से टिड्डियों का हमला

रानीवाड़ा (जालोर).जिले के रानीवाड़ा क्षेत्र के कई गांवों में एक बार फिर से टिड्डियों ने अपना आतंक मचाना शुरू कर दिया है. ऐसे में क्षेत्र में टिड्डी दल आने से किसानों में मायूसी छा गई है. क्षेत्र में इन टिड्डियों के अलग-अलग दल कई गांवों में खेजड़ी, जाल के पेड़ों और खेतों पर बैठकर फसलों और पेड़-पौधों को पूरी तरह से चौपट कर रही हैं.

इस दौरान रानीवाड़ा क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों में टिड्डी दल मंडराते नजर आ रहे हैं, जिनसे मुकाबला करने के लिए संबंधित क्षेत्रों के किसान और प्रशासन भी पूरी तरह से जुटा है. सरकार से लेकर किसानों की कई कोशिश करने के बाद भी टिड्डियां काल बनकर फसलों पर मंडरा रही रही हैं. इसके लिए ग्रामीण रात और सुबह तक ढोल, थाली और डीजे बजाकर टिड्डियों को भगाने का जतन कर रहे हैं.

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टिड्डियां चट कर रही फसलें...

रानीवाड़ा में इससे पहले रबी के सीजन में टिड्डी दल ने हमला किया था. इस दौरान रानीवाड़ा सहित जालोर जिले में लगातार करीब 1 माह तक हमला करते हुए टिड्डी दल ने लाखों हेक्टेयर में फसल चट कर दी थी. इसके बाद वापस एक बार फिर से जिले में टिड्डी दल ने हमला किया है. अब किसानों के खेतों में गर्मी की सीजन के दौरान बाजरी समेत कई अन्य फसलें खड़ी हैं, जिनको टिड्डियां चट कर रही हैं. वहीं, अधिकतर टिड्डी दल खेजड़ी के पेड़ों पर बैठा है, जहां खेजड़ी के पेड़ों पर लगी सांगरी को चट कर रहा है.

खुद को कोरोना से बचाएं या फसलों को टिड्डियों से...

पश्चिमी राजस्थान की सीमाओं में लगातार पिछले कुछ दिनों से टिड्डियों का बड़ा हमला हो रहा है. ऐसे में किसानों का कहना है कि एक तरफ तो कोरोना वायरस का खतरा जिससे खुद को बचाना है और दूसरी तरफ टिड्डियों के नुकसान से फसलों को रोकना है. दरअसल, किसानों ने टिड्डियों का कहर पिछले साल तक देखा था. उस समय पूरी फसलें चौपट हो गई थी.

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