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भीनमाल: 8 साल पुराने बहुचर्चित शंकरलाल माली हत्याकाण्ड में एक आरोपी को आजीवन कारावास

अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश मनीष कुमार वैष्णव ने आठ साल पुराने बहुचर्चित शंकरलाल माली हत्याकाण्ड मामले की सुनवाई में एक आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. वहीं चार आरोपियों को दोषमुक्त किया है.

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आठ साल पुराने बहुचर्चित शंकरलाल माली हत्याकाण्ड में एक आरोपी को आजीवन कारावास

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Published : Jul 31, 2020, 1:47 PM IST

भीनमाल (जालोर). अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश मनीष कुमार वैष्णव ने आठ साल पुराने बहुचर्चित शंकरलाल माली हत्याकाण्ड के मामले की सुनवाई में एक आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. वहीं चार आरोपियों को दोषमुक्त किया है. न्यायालय ने हत्या और साक्ष्य मिटाने के आरोप में आरोपी कुशलापुरा निवासी दीपाराम पुत्र भारताराम मेघवाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

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इसके अलावा आरोपी दीपाराम को भादंस 302, 304, 392 और 201 में 10-10 (कुल 40) हजार रुपए का अर्थदण्ड दिया गया है. साथ ही दीपाराम को 5-5 (कुल 20) माह का कठोर कारावास की सजा हुई है. वहीं राऊता हाल-भीनमाल निवासी छगनदास पुत्र गंगाराम वैष्णव, कुशलापुरा निवासी नरपतसिंह पुत्र अजबसिंह, बाड़मेर के कल्याणपुर निवासी वगताराम पुत्र भीमाराम चौधरी और प्रतापगढ़ जिले के मगरोड निवासी शेरिन पुत्र क्यूम खां को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त किया गया है.

इस मामले में दो आरोपी जेल में थे, जबकि दो आरोपी पूर्व में जमानत पर थे. बता दें कि भीनमाल पुलिस थाने में 27 जुलाई 2012 को प्रार्थी भादरड़ा रोड निवासी भलाराम पुत्र प्रतापाराम माली ने रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि उसका भाई शंकरलाल माली वाहन चलाता था. वहीं 20 जुलाई 2012 की शाम को करीब 7.30 बजे कुशलापुरा निवासी दीपाराम मेघवाल, घेवाराम मेघवाल, नरपतसिंह, छगनदास, एक नाबालिक ने योजना के तहत षड्यंत्र रचकर उसका अपहरण कर कहीं बंधक बना दिया है या हत्या कर दी है.

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पुलिस अनुसंधान में आरोपी दीपाराम मेघवाल की निशानदेही पर बाड़मेर के समदड़ी के पास सावरड़ा गांव के खार जमीन से मृतक शंकरलाल का शव बरामद किया गया था. मृतक की लूटी कार उदयपुर के हाइवे से बरामद की गई थी. पुलिस अनुसंधान में पाया गया कि आरोपियों ने योजना बनाकर 20 जुलाई 2020 को मृतक शंकरलाल को किराया पर चलने का बताकर मृतक शंकरलाल को बाडमेर के सावरड़ा लेकर गए.

सांवरड़ा गांव के पास वाहन चलाते समय शंकरलाल के पीछे से रस्सी का फंदा लगाकर उसकी हत्या कर दी गई और तथ्य छुपाने के उद्देश्य से शव को सावरड़ा के खार जमीन में गाड़ दिया. वहीं हत्या के विरोध में एक दिन भीनमाल शहर भी बंद रहा था.

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