सांचोर (जालोर).चितलवाना उपखण्ड के मेघावा गांव में गत 64 दिन से अपने क्षेत्र की जमीन कमांड करवाने की मांग को लेकर पांच गांवों के किसानों का धरना चल रहा है, लेकिन सरकार व नर्मदा विभाग ने किसानों से वार्ता कर कोई ठोस अश्वासन नहीं दिया. किसानों का आरोप है कि सरकार व नर्मदा विभाग किसानों की इन समस्या को हल्के में ले रही है. दो माह से भी ज्यादा समय हो गया है, लेकिन अभी तक सरकार ने किसानों की समस्याओं के समाधान का प्रयास तक नहीं किया.
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असिंचित क्षेत्र में आने वाले किसानों की सिंचित क्षेत्र में जोड़ने की मांग
दरअसल, चितलवाना उपखण्ड के पांच गांव (मेघावा, मणोहर, वीरावा, कुंडकी व अगड़ावा) नर्मदा मुख्य नहर के अनकमाण्ड क्षेत्र में है. जिन किसानों की बेशकीमती जमीन औने-पौने दाम पर लेकर इनके खेतों के बीच में से नहर निकालकर खेतों को अधिगृहित कर लिया और खेत के बीच में से नहर निकलने से खेत को भी दो टुकड़ो में बांट दिया. उस समय किसानों ने कोई विरोध नहीं किया, क्योंकि किसानों ने सोचा कि नर्मदा का मीठा पानी मिलेगा और उस मीठे पानी मिलने से अच्छी फसल होगी. उससे इस नुकसान की भरपाई भी हो जाएगी, लेकिन ग्रामीणों की मानें तो सरकार ने इन किसानों के साथ ऐसा होने नहीं दिया, क्योंकि इन किसानों की भूमि असिंचित क्षेत्र में है. जिसके कारण अभी इस क्षेत्र के किसान नहर में से एक लीटर पानी भी नहीं ले पाएंगे.
64 दिन से धरने पर किसान, ना सरकार ना अधिकारियों ने ली सुध
किसान अपने खेतों को सिंचित क्षेत्र में शामिल करवाने के लिए गत 64 दिन से धरने पर है. किसान दिन-रात धरने पर बैठे है, लेकिन अभी तक ना तो नर्मदा के अधिकारियों ने इन किसानों की सुध ली है और ना ही सरकार ने इन किसानों के हालात की जानकारी ली है. हालांकि 50 दिन पहले सूबे के वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई ने धरनास्थल पर पहुंचकर किसानों को आवश्यक दस्तावेज लेकर जयपुर बुलाया था. लेकिन नर्मदा विभाग से अभी तक इन किसानों को आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाये. किसान हर रोज नर्मदा विभाग चक्कर लगा रहे है कि लेकिन फिर भी इन्हें अभी तक आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं हुए है. जिसकी वजह से अभी तक किसान जयपुर नहीं जा पाए. नर्मदा विभाग आखिर इन किसानों को दस्तावेज उपलब्ध करवाने में क्यों हिचकिचा रहा है इसकी फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिली.
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सानों की चेतावनी, नहर में रेत डालकर रोक देंगे पानी
वहीं धरने पर बैठे किसानों ने अब सरकार को चेतावनी दी है कि अगर सरकार किसानों के इस मामले को हल्के लेंगे और किसानों की जमीन कमाण्ड क्षेत्र में नहीं जोड़ी तो वो सभी मिलकर नहर में रेत डालकर पानी को रोक देंगे और आगे पानी नहीं जाने देंगे. पिछले 64 दिनों से किसान धरने ओर बैठे है, लेकिन सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है. ऐसे में किसानों ने नहर में रेत डालकर पानी रोकने की चेतावनी दी है. ऐसे अब देखना यह होगा कि सरकार किसानों की सुध लेती या फिर किसान उग्र आंदोलन पर उतरेंगे.