जालोर. नगर निकाय चुनाव में इस बार काफी गहमागहमी का माहौल बना हुआ है. जालोर नगर परिषद के चालीस वार्डों के लिए इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियां नामांकन करने के अंतिम समय तक सूची जारी नहीं कर सकी, लेकिन संभावित प्रत्याशियों से नामांकन भरवा दिया गया है. बताया जा रहा है कि देर रात को सूची जारी की गई, जिसमें ज्यादातर नामांकन कर चुके उम्मीदवारों के नाम थे. साथ ही कुछ ऐसे नामों को शमिल नहीं किया गया. जिन्होंने टिकट मिलने की उम्मीद में नामांकन किया. लेकिन टिकट सूची में उनका नाम नहीं आया.
जिसके बाद कई दावेदारों के चेहरे निराशा से भर गए. वहीं सबसे ज्यादा दिग्गज नेताओं की हालत खराब नजर आई. बताया जा रहा है कि एक भी बड़े नेता या उनके परिवार वाले को दोनों ही बड़ी पार्टियों ने इस बार टिकट नहीं दिया. ऐसे में अब दिग्गज नेताओं को किनारे करके पार्टियां नगर परिषद में सत्ता बनाने की कोशिश में है, लेकिन भितरघात का भी डर बना हुआ है. हालांकि नए युवा नेताओं और पार्टी आलाकमान की ओर से दिग्गज नेताओं को मनाने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन अभी तक स्थिति पूरी तरह साफ नहीं हो पाई है, कि दिग्गज नेता किस भूमिका में रहेंगे.
कांग्रेस ने इन नेताओं को किया किनारे
इस बार सभापति पद के लिए एससी सीट के लिए आरक्षित है. जिस कारण पूर्व विधायक रामलाल मेघवाल अपने बेटे रमेश मेघवाल को सभापति बनाने के लिए टिकट मांग रहे थे. अंतिम समय में आवेदन भी कर दिया था, लेकिन पार्टी ने टिकट काट कर साधारण कार्यकर्ता राजेन्द्र सोलंकी को टिकट दे दिया. इसी प्रकार पिछले विधानसभा चुनाव में जालोर से कांग्रेस प्रत्याशी रही मंजू मेघवाल के पति पुखराज मेघवाल भी दावेदारों की दौड़ में थे, लेकिन अंतिम समय में उन्हें पता चला कि पार्टी ने उसे टिकट नहीं दिया है, तो उसने आवेदन ही नहीं किया.
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साथ ही कांग्रेस के तीसरे बड़े नेता और पूर्व पालिका उपाध्यक्ष ईश्वर मेहता ने भी अपने बेटे को 21 नम्बर से चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन पार्टी ने उस सीट पर यूथ कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष लक्ष्मणसिंह सांखला को महत्व दिया. इस प्रकार एक-एक करके कांग्रेस में कई दिग्गज नेता किनारे हो गए. कांग्रेस के आलाकमान ने इस बार यूथ कांग्रेस और पार्टी की राजनीति में हमेशा सक्रिय रहे युवाओं को टिकट देने में महत्व दिया है. जिसमें बसन्त सुथार, वाहिद मेहर, सुष्मिता गर्ग, लक्ष्मणसिंह सांखला, रतन गहलोत, खुशबू कुमारी जैसे कार्यकर्ताओं को इस बार पार्षद चुनाव में मौका दिया गया है.
उप सभापति मंजू सोलंकी को किया किनारे