जालोर.विश्व को सबसे बड़ी गौधाम महातीर्थ आनंदवन गोशाला भी अब वैश्विक महामारी कोरोना की चपेट में आ गया है. विश्व में गौ क्रांति का आगाज करने वाली ये गौशाला भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है. इस गौशाला की कुल 64 शाखाएं है. इन सभी शाखाओं में कोरोना के बचाव को लेकर लागू किए गए लॉकडाउन में चारे का भारी संकट खड़ा हो गया है, जिसके कारण गौशाला प्रबंधन को अब चारे की व्यवस्था करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में इस गौशाला में लगभग 1 लाख 44 हजार से ज्यादा गौवंश के लिए चारे की व्यवस्था करना काफी बड़ी चुनौती बन गया है.
गौधाम महातीर्थ आनंदवन पथमेड़ा के संचालक मंडल के विठ्ठल कृष्ण महाराज ने बताया कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच लागू हुए लॉकडाउन के कारण आवागमन पूरी तरह से बंद कर दिया था, जिसके कारण गौशाला में चारे की किल्लत हो गई थी. इसके बाद कार्यकर्ताओं ने आसपास के क्षेत्रों और गुजरात में नर्मदा नहर के किनारे किसानों से प्रतिदिन की जरूरत के हिसाब से चारे की व्यवस्था की गई, तब जाकर इतनी बड़ी संख्या में गौवंश को बचाया जा सका. साथ ही बताया कि गौशाला की पूरे भारत में 64 शाखाएं है, जिसमें 1 लाख 44 हजार से ज्यादा गौवंश हैं. इनके चारे की व्यवस्था को लेकर काफी प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन कोरोना महामारी से पहले जिस प्रकार से गौभक्तों का सहयोग मिलता था, वैसा अब नहीं मिल पा रहा है.
विठ्ठल कृष्ण महाराज ने बताया कि ज्यादातर लोगों का व्यापार इस लॉकडाउन में प्रभावित होने के कारण गौ ग्रास दान आना बंद हो गया है. अब आगे भी साल भर तक ऐसे ही हालात बने रहने के आसार हैं. इसलिए बड़े स्तर पर गौवंशों को बचाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को आगे आना चाहिए. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार एक साल में 9 महीने तक अनुदान देती है, जिसमें जनवरी, फरवरी और मार्च का अनुदान तो प्राप्त हो गया है, लेकिन यह अनुदान तीन-तीन महीनों के अंतराल में मिलता है और चारे की व्यवस्था प्रति दिन करनी पड़ती है. ऐसे में अगर यह अनुदान 9 महीने की जगह 12 महीने और तीन-तीन महीनों के अंतराल की जगह प्रत्येक महीने दिया जाता है तो गौशालाओं में गौवंश को बचाने में संबल मिल सकता.
गौशाला से चलता हैं 4,000 लोगों का परिवार...
बता दें कि गौधाम महातीर्थ आनंदवन पथमेड़ा गौशाला की पूरे देश में 64 शाखाएं हैं, जिसमें से 10 शाखाएं अकेले जालोर जिले में हैं. वहीं, हनुमान नंदी गौशाला गोलासन में करीब 15 हजार नंदी हैं. इसके अलावा अन्य गोशालाओं में करीबन डेढ़ लाख गौवंश हैं, जिनकी देखभाल करने के लिए गौशाला से करीबन 4 हजार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लोग जुड़े हुए हैं, जिनके परिवार की आजीविका इसी गौशाला पर निर्भर करती है. लेकिन कोरोना महामारी के बीच गौ दान आना बंद हो जाने के कारण इन 4 हजार परिवारों पर संकट खड़ा हो गया है. इस गौशाला में पूरे 1065 स्थाई कर्मचारी हैं, जबकि 2,500 लोग गायों की देखभाल करने के अलावा चारा लेकर आने वाले ट्रक चालक, चारा खाली करने वाले मजदूर हैं, जो सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं.
प्रतिदिन इतने चारे की पड़ती है जरूरत...