जालोर.जिले के सांचोर क्षेत्र पर कई दर्जनों बार सड़क हादसों में या डिलीवरी में प्रसूताओं की मौत ब्लड समय पर नहीं मिल पाने से हो गई है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. बता दें कि सांचोर के एक निजी अस्पताल में जोधपुर संभाग के ग्रामीण क्षेत्र की सबसे बड़ी ब्लड बैंक खुलने जा रही है, जिसकी तैयारियां पूरी हो चुकी है.
जोधपुर संभाग के ग्रामीण क्षेत्र में पहली कंपोनेंट ब्लड बैंक वहीं केंद्र सरकार की टीम अस्पताल का निरीक्षण करके भी चली गई है, अब जल्द ही इस कंपोनेंट ब्लड बैंक का शुभारंभ किया जाएगा. जिसके बाद इस क्षेत्र के साथ जालोर और बाड़मेर जिले के मरीजों को निशुल्क ब्लड या फिर ब्लड के बदले ब्लड आसानी से उपलब्ध हो सकेगा.
खास बात यह है कि मरीज को जिस प्रकार के ब्लड की जरुरत होगी, वैसा ब्लड यहां मिल सकेगा. इसके लिए ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन लगाई गई है. जिसकी सहायता से एक यूनिट ब्लड से चार लोगों की जिंदगी को बचाया जा सकता है.
क्या है कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट
ब्लड में 4 कंपोनेंट होते हैं, इनमें रेड ब्लड सेल (आरबीसी), प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रेसीपिटेट शामिल हैं. सेपरेशन यूनिट में ब्लड को घुमाया जाता है. इससे ब्लड परत दर परत हो जाता है और आरबीसी, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रेसीपिटेट अलग-अलग हो जाते हैं. जरुरत के मुताबिक इनको निकाल लिया जाता है.
बी लाल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. बाबू लाल बिश्नोई ने बताया कि बीसीएस मशीन से ब्लड बैंक में आरबीसी को सेगम मशीन की सहायता से 42 दिन तक, 2 डिग्री सेंटीग्रेड से 6 डिग्री सेंटीग्रेड पर रखकर सुरक्षित रखा जा सकेगा. एफएफपी-फ्रेश फ्रोजन प्लाजमा- इसको डी फ्रिजर में 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर रख एक साल तक सुरक्षित रखा जा सकेगा. इसका उपयोग बर्न केस और हेपेटिक सर्जरी में होता है. प्लेटलेट्स को पांच दिन तक 20 से 24 सेंटीग्रेड पर रखकर लगातार इसको हिलाते रहने वाली मशीन में रखकर सुरक्षित रखा जा सकता है. इसका प्रयोग ल्यूकोमा, कैंसर, डेंगू, बोन मैरो में आता है.
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जोधपुर शहर के अलावा कहीं नहीं है यह सुविधा
जोधपुर संभाग में जोधपुर शहर को छोड़कर बाकी के 6 जिलों में कंपोनेंट ब्लड बैंक की सुविधा नहीं है. सभी जिला अस्पताल में होल ब्लड बैंक की सुविधा है, जिसमें ब्लड को बिना ट्रांसफॉर्मेशन किये सीधे मरीज को चढ़ाया जाता है. इसमें कई बार रिएक्शन होने का खतरा रहता है, लेकिन कंपोनेंट ब्लड बैंक सेपरेटर मशीन की मदद से मरीज को जिस ब्लड की जरुरत होगी उसे वैसा ब्लड चढ़ाया जाएगा.
इसकी खास बात यह है कि यह निजी अस्पताल में होते हुए भी इसकी बिल्कुल निशुल्क व्यवस्था होगी. ब्लड के बदले ब्लड होता है तो ठीक है, लेकिन अगर किसी के पास ब्लड नहीं है और इमरजेंसी है तो बिल्कुल निशुल्क ब्लड उपलब्ध करवाया जाएगा.