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जालोर में किसानों का धरना 106 दिन से जारी, सुनवाई नहीं होने पर अब अनशन की दी चेतावनी

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Published : Mar 18, 2020, 8:07 AM IST

जालोर के चितलवाना उपखंड क्षेत्र के किसान 5 गांवों के किसान पिछले 106 दिन से नर्मदा नहर के किनारे धरना पर बैठे हैं. उनकी मांग है कि नर्मदा नहर की जमीन को कमांड क्षेत्र में जोड़ा जाए. लेकिन किसानों की अभी तक सुनवाई नहीं हुई है. अब किसान अनशन की चेतावनी दे रहे हैं.

jalore news, किसानों का धरना
जालोर के चितलवाना में किसानों का धरना

जालोर.जिले के चितलवाना उपखंड क्षेत्र में नर्मदा नहर की जमीन को कमांड क्षेत्र में जोड़ने की मांग को लेकर पिछले 106 दिन से लगातार धरना दे रहे हैंं. लेकिन स्थानीय प्रशासन या सरकार की ओर से अभी तक सुनवाई नहीं की गई है. इस कारण अब किसान अनशन की चेतावनी दे रहे हैं.

जालोर के चितलवाना में किसानों का धरना

किसानों ने बताया कि सांचोर और चितलवाना क्षेत्र के किसानों की जीवनदायिनी कही जाने वाली नर्मदा नहर के कमांड क्षेत्र से 5 गांवों के किसानों को वंचित रख दिया था. ऐसे में 5 गांवों के सैंकड़ों किसान विरोध प्रदर्शन करके अपनी जमीन को कमांड क्षेत्र में जुड़वाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन अभी तक किसानों की सुनवाई नहीं हुई है. ऐसे में परेशान किसानों ने पंचायतीराज के चुनाव बहिष्कार करने और नर्मदा नहर के पानी को रोक कर अनशन शुरू करने की चेतावनी प्रशासन को दी है.

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बताया जा रहा है कि मेघावा, मणोहर, विरावा, कुंडकी और अगड़ावा के किसानों ने प्रशासनिक अधिकारियों को दिए गए ज्ञापन में बताया कि हमारी जमीन को औने-पौने दामों में अवाप्त करके अंदर नर्मदा नहर का निर्माण करवा दिया. लेकिन किसानों की जमीन को सिंचित कमांड क्षेत्र में नहीं जोड़ा गया. इस कारण अब किसानों के खेतों के बीच से पानी से भरी नर्मदा नहर तो गुजर रही है. किसान नहर के अंदर से एक बूंद पानी तक सिंचाई के लिए नहीं ले पा रहे हैं.

वन एवं पर्यावरण मंत्री ने जयपुर बुलाया, लेकिन प्रशासन आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवा रहा

सांचोर से विधायक और सूबे के वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई के विधानसभा क्षेत्र में ये धरना चल रहा है. इस कारण मंत्री धरना स्थल पर पहुंचे और जरूरत के दस्तावेज लेकर किसानों को जयपुर में बुलाया था. इसके बाद किसान उन आवश्यक दस्तावेजों के लिए दर-दर की ठोकर खा रहे हैं. किसानों का आरोप है कि पिछले दो माह से आवश्यक दस्तावेजों के लिए नर्मदा नहर परियोजना के अधिकारियों और तहसील के चक्कर काट रहे हैं. कार्मिक आवश्यक दस्तावेज ही उपलब्ध नहीं करवा रहे है.

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