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धरती पुत्रों की पुकार- एक तरफ टिड्डियों ने किया बर्बाद, दूसरी तरफ रुला रही है 'सरकार'

चितलवाना उपखंड क्षेत्र में सप्ताह भर पहले आई टिड्डी ने रबी की फसल को पूरा चौपट कर दिया था. अब किसान मुआवजे की मांग कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि सरकार की ओर से जो राशि दी जा रही है वो नाकाफी है. ये राशि ऊंट के मुंह में जीरा के समान है.

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सरकार से मिल रहे मुआवजे से किसान नाखुश...

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Published : Jan 28, 2020, 2:25 PM IST

सांचोर (जालोर).चितलवाना उपखण्ड में पाक से आए टिड्डी दल ने उपखण्ड के किसानों की फसलों को पूरी तरह से चौपट कर दिया. जिससे किसानों को बड़ी मात्रा में नुकसान झेलना पड़ा. टिड्डी दल के कारण खराब हुए फसलों को लेकर सोमवार को चितलवाना उपखण्ड के डूंगरी, कागोड़ा, दूठवा, बड़सल की बेरी, सेसावा, सायर का कोसिटा सहित दर्जनों गांवों के किसानों ने मुख्यमंत्री के नाम उपखण्ड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा.

सरकार से मिल रहे मुआवजे से किसान नाखुश...

किसानों का कहना है की टिड्डी दल के कारण किसानों का 100 फीसदी फसल नुकसान हो चुकी है. ज्ञापन के जरिए किसानों ने फसलों के खराब होने पर मुआवजे की मांग की है.

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डूंगरी ग्राम पंचायत से 40-50 वाहनों में सैकड़ों किसान एकत्रित होकर रैली के रुप मे नारेबाजी करते हुए चितलवना उपखण्ड मुख्यालय पहुंचे और मुख्यमंत्री के नाम उपखण्ड अधिकारी मासिंगाराम जांगिड़ को ज्ञापन देकर मुआवजे की मांग की. गौरतलब है कि गत दिनों हुए भयंकर टिड्डी दल के हमले से किसानों की फसलें चौपट हो गई है, जिससे किसानों के खेत खाली हो गए हैं और अब किसानों को केवल मुआवजे से ही आस है. किसानों का मानना है की सरकार उनकी मदद करेगी. लेकिन सरकार की ओर से दिया जा रहा मुआवजा ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है.

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वहीं कई काश्तकारों ने खेतों को हिस्से पर लेकर बुवाई की थी. लेकिन टिड्डी दल ने खेतों को चौपट कर दिया गया है. अब हिस्से पर लिए गए खेतों का मुआवजा तो खेत मालिक को मिलेगा जिससे वे काश्तकार इन मुआवजे का लाभ नही ले पाएंगे. जो हिस्से पर खेत लेकर बुवाई की थी. चितलवाना प्रधान हनुमानप्रसाद भादू ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि गत दिनों में टिड्डी दल की ओर से हुए भारी नुकसान से किसान दुखी है और राज्य सरकार इन किसानों को मुआवजे के रूप में प्रति हेक्टेयर 13,500 रुपये दे रही है. जो ऊंट के मुहं में जीरा के समान है. जबकि किसानों ने प्रति हेक्टेयर पर पचास हजार का खर्चा किया है. इसलिए सरकार की ओर से वास्तविक सर्वे करवाकर उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए.

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वहीं राजस्थान किसान संघ के तहसील अध्यक्ष मकाराम ने कहा कि अगर समय रहते राज्य सरकार ने इन किसानों के हित में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया तो हम इस आंदोलन को उग्र करेंगे और सरकार को मुआवजे के लिए मजबूर करेंगे. गौरतलब है कि पहले बाढ़ और बारिश ने धरती पुत्रों को खून के आंसू रुला दिए हैं. खेतों में पानी भर जाने के कारण बाजरे की फसल नष्ट हो गई है. वहीं अब टिड्डों के कारण भी कई इलाकों में किसानों की फसलें नष्ट हो गई हैं.

उपखण्ड अधिकारी को दिए ज्ञापन में किसानों की मुख्य मांगें...

  • सरकार द्वारा की जा रही गिरदावरी में 100 प्रतिशत फसल खराबा दर्ज किया जाए
  • समस्त प्रकार के बीजलु बिल माफ किया जाए
  • उत्तराधिकारी या नामांतरण प्रक्रिया यदि किसी किसान की पूरी नहीं हुई है तो भी भी वास्तविक को ही मुआवजा दिया जाए
  • फसल बीमा करवाने की अवधि बढ़ाई जाए
  • नहरी लाइन की सप्लाई मार्च 2020 से भी आगे जारी रखा जाए, जिससे गर्मियों में पशुचारे की व्यवस्था हो सके
  • मुआवजे की राशि की लिमिट तय न करके वास्तविक बुआई के आधार पर तय की जाए
  • किसानों के उत्तराधिकारी अर्थात भागीदारों को भी मुआवजा दिया जाए
  • अनुदान की राशि 13 हजार 500 न देकर सिचाई सीजन कीमती फसलों को मानकर दिया जाए
  • बटाईदार, हिस्सेदार या सहकाश्तकारों को भी मुआवजा दिया जाए
  • किसानों का सम्पूर्ण कर्जा केसीसी, कॉ-ऑपरेटिव बैंक का 100 प्रतिशत माफ किया जाए
  • मनरेगा में कार्य 100 दिन की जगह 200 दिन किया जाए
  • डूंगरी पंचायत मुख्यालय पर स्थित आरएमजीबी बैंक लिमिट बढ़ाई जाए और डूंगरी में एसबीआई की शाखा खोली जाए
  • ऐसे परिवार जिनका मुखिया या तो सालों से गुमशुदा है या विमंदित है. उनके उत्तराधिकारियों को भुगतान राशि का अधिकार दिया जाए

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