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SPECIAL: भूख-प्यास और लाचारी ने इस परिवार को 1000 किमी पैदल चलने को किया मजबूर

पूरे देश में लॉकडाउन के कारण दिहाड़ी मजदूरी करने वालों के सामने यथा स्थान पर रुकने और खाने-पीने की समस्याएं खड़ी हो गई हैं. यह समस्या उस समय और विकराल रूप ले लेती है जब उन्हें, उनके निवास स्थान से जाने के लिए बोल दिया जाता है. नतीजन सैकड़ों लोग पैदल ही अपने गांव जाने का फैसला कर लेते हैं. लॉकडाउन के कारण मध्यप्रदेश के गांव से जबरन निकाले गए एक ही परिवार के 11 सदस्य जो अपने छोटे-छोटे बच्चों को साथ लेकर अपने पैतृक गांव चितलवाना पैदल पहुंचे. इस दौरान परिवार के कई सदस्यों के पैरों में छाले तक पड़ गए.

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मध्यप्रदेश से पैदल तय किया राजस्थान तक का सफर

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Published : Apr 5, 2020, 6:06 PM IST

जालोर. कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी. जिसके कारण दिहाड़ी मजदूरी करने वालों के सामने यथा स्थान पर रुकने और खाने पीने की समस्याएं खड़ी हो गई. ऐसे में सैकड़ों मजदूर पैदल ही अपनी गांव के लिए निकल पड़े. ऐसे ही एक परिवार मध्यप्रदेश से पैदल चलकर चितलवाना तक पहुंचा. पैदल चल-चलकर इन सभी के पैरों में छाले पड़ चुके हैं.

लॉकडाउन ने किया बेघर

इन मजदूरों में से एक परिवार चितलवाना के मांगीलाल बागरी का भी है. जो वेस्ट प्लास्टिक के फूल बनाकर बेचने का काम करते हैं. मध्यप्रदेश में अपना धंधा चलाते हैं और वहीं पर कच्ची झोपड़ियां बनाकर रहते थे. लेकिन जैसे ही लॉकडाउन हुआ, तो स्थानीय सरपंच ने गांव खाली करने का फरमान सुना दिया. जिसके बाद मांगीलाल अपने आधे-अधूरे सामान को लेकर पैदल ही अपने गांव चितलवाना की ओर निकल पड़े.

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10 हजार किमी का तय किया सफर...

छोटे-छोटे बच्चों के साथ पैदल निकले मांगीलाल के परिवार ने 7-8 दिनों में 1 हजार किमी का सफर तय किया और भीनमाल पहुंचकर ठहरा. उसके बाद उन्होंने चितलवाना के समाजसेवी जगदीश गोदारा से संपर्क किया. फिर जगदीश गोदारा ने प्रशासन के सहयोग से सभी को चितलवाना के सरकारी स्कूल तक पहुंचाया.

गांव के सरपंच ने किया बेघर...

मांगीलाल बताते हैं कि उन्हें सरपंच ने जनता कर्फ्यू के दिन ही गांव से निकल जाने का कह दिया था. उसी दिन रात को ही वे अपने परिवार के साथ सामान लेकर पैदल गांव की तरफ रवाना हो गए. वहीं मध्यप्रदेश की सीमा में भामाशाहों ने ऐसे मजदूरों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था भी थी, लेकिन राजस्थान की सीमा में उन्हें पानी भी नसीब नहीं हुआ.

ऐसे में हमने मध्यप्रदेश से ही कुछ बिस्किट और नमकीन खरीद लिए थे. जिसकी वजह से हम अपने बच्चों का पेट भर पाए. मजदूर ने बताया कि वे इसके बाद पैदल चलते ही चितलवाना तक पहुंचे.

सारे सरकारी दावे धरे के धरे रह गए...

लॉकडाउन लागू होने के बाद बड़े-बड़े नेताओं ने लोगों के लिए यथास्थिति में रुकने और खाने पीने की व्यवस्था करने के बड़े-बड़े दावे तो किए. लेकिन धरातल स्तर पर कुछ भी नजर नहीं आ रहा है. इसके चलते मांगीराम और उसके परिवार को 6 दिन तक भूखे रहना पड़ा.

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पैरों में फूट गए छाले...

पैदल चलकर घर आने के लिए मध्य प्रदेश से निकले मांगीलाल बागरी के परिवार में उनके अलावा उसकी पत्नी अमिया, राहुल, लक्ष्मण, गुड़िया, केली, पिंटू, युवराज, हंसा, राहुल और एक अन्य शख्स भी शामिल है. इनमें 3 छोटे बच्चे भी शामिल हैं. पैदल यात्रा करने से सभी के पैरों में छाले पड़ गए हैं.

चितलवाना पहुंचने पर परिवार के 11 लोगों को प्रशासनिक अधिकारियों ने यहां के सरकारी स्कूल के आइसोलेशन सेंटर में रखा है. इन सभी की सोमवार को स्वास्थ्य जांच करवाई जाएगी.

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