जालोर. कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी. जिसके कारण दिहाड़ी मजदूरी करने वालों के सामने यथा स्थान पर रुकने और खाने पीने की समस्याएं खड़ी हो गई. ऐसे में सैकड़ों मजदूर पैदल ही अपनी गांव के लिए निकल पड़े. ऐसे ही एक परिवार मध्यप्रदेश से पैदल चलकर चितलवाना तक पहुंचा. पैदल चल-चलकर इन सभी के पैरों में छाले पड़ चुके हैं.
इन मजदूरों में से एक परिवार चितलवाना के मांगीलाल बागरी का भी है. जो वेस्ट प्लास्टिक के फूल बनाकर बेचने का काम करते हैं. मध्यप्रदेश में अपना धंधा चलाते हैं और वहीं पर कच्ची झोपड़ियां बनाकर रहते थे. लेकिन जैसे ही लॉकडाउन हुआ, तो स्थानीय सरपंच ने गांव खाली करने का फरमान सुना दिया. जिसके बाद मांगीलाल अपने आधे-अधूरे सामान को लेकर पैदल ही अपने गांव चितलवाना की ओर निकल पड़े.
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10 हजार किमी का तय किया सफर...
छोटे-छोटे बच्चों के साथ पैदल निकले मांगीलाल के परिवार ने 7-8 दिनों में 1 हजार किमी का सफर तय किया और भीनमाल पहुंचकर ठहरा. उसके बाद उन्होंने चितलवाना के समाजसेवी जगदीश गोदारा से संपर्क किया. फिर जगदीश गोदारा ने प्रशासन के सहयोग से सभी को चितलवाना के सरकारी स्कूल तक पहुंचाया.
गांव के सरपंच ने किया बेघर...
मांगीलाल बताते हैं कि उन्हें सरपंच ने जनता कर्फ्यू के दिन ही गांव से निकल जाने का कह दिया था. उसी दिन रात को ही वे अपने परिवार के साथ सामान लेकर पैदल गांव की तरफ रवाना हो गए. वहीं मध्यप्रदेश की सीमा में भामाशाहों ने ऐसे मजदूरों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था भी थी, लेकिन राजस्थान की सीमा में उन्हें पानी भी नसीब नहीं हुआ.