रानीवाड़ा (जालोर). देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में पिछले कुछ दिनों से लगातार बढ़ोतरी हो रही है. जिसकी वजह से केंद्र सरकार के खिलाफ जगह जगह विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं. इसी क्रम में जसवंतपुरा उपखंड मुख्यालय पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस जिला महासचिव महेंद्रपाल सिंह चेकला के नेतृत्व में पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों को लेकर उपखंड अधिकारी शैलेंद्र सिंह को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा है.
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उपखंड अधिकारी को सौंपा ज्ञापन ज्ञापन में बताया कि लॉकडाउन के दौरान पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और कीमतों में बार-बार की गई अनुचित बढ़ोतरी ने आमजन को असीम पीड़ा और परेशानियां दी हैं. एक तरफ जहां देश महामारी से लड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ केंद्र की एनडीए सरकार पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाकर इस मुश्किल वक्त में मुनाफाखोरी करने में लगी हुई है.
उन्होंने बताया कि मई 2014 में जब प्रधानमंत्री ने सत्ता संभाली थी तब, पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 9.20 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 3.46 रुपए प्रति लीटर था. पिछले 6 सालों में केन्द्र की भाजपा सरकर ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 23.78 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 28.37 रुपए प्रति लीटर की अतिरिवत बढ़ोतरी की है. वहीं लॉकडाउन लगाने के बाद से भी पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क को बार-बार बढ़ाया जा रहा है. जिससे डीजल का मुल्य 10.48 रुपए प्रति लीटर और पेट्रोल का मूल्य 8.50 रुपए प्रति लीटर बढ़ गया है. पिछले साढ़े तीन महीनों में भाजपा सरकार ने डीजल पर मूल्य और उत्पाद शुल्क 28.48 रुपए प्रति लीटर और पेट्रोल पर 21.50 रुपए प्रति लीटर बढ़ा दिए हैं.
सरकार देश के नागरिकों का इससे ज्यादा शोषण और क्या कर सकती है. पिछले कुछ महीनों में कच्चे तल के भाव कम हुए हैं, लेकिन मोदी सरकार भारत के भोले-भाले नागरीकों की जेब पर डाका डालकर उन्हें खसोट रही है. इस बात पर भी ध्यान दे कि जब कांग्रेस की यूपीए सरकार केन्द्र में सत्ताधीन थी, तो कच्चे तेल का दाम 108 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल था. जो 24 जून 2020 को गिराकर 43.41 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल हो गया. यानी इसके मूल्य में लगभग 60 प्रतिशत की गिरावट हुई. इसके बावजूद भाजपा सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान पर पहुंचा दिए हैं.