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जालोरः संविदा पर लगे कम्प्यूटर कर्मियों ने गहलोत के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, स्थाई करने की मांग - स्थाई करने की मांग

जालोर में सोमवार को प्राथमिक और सामुदाहिक स्वास्थ्य केंद्रों पर संचालित कम्प्यूटर ऑपरेटरों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम कलेक्टर को ज्ञापन देकर स्थाई करने की मांग की है. साथ ही यह चेतावनी देते हुए कहा कि उनका कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया तो बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे.

संविदा पर लगे कम्प्यूटर कर्मियों का हल्ला बोल, Speak of contract workers
कम्प्यूटर कर्मियों ने सौंपा ज्ञापन

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Published : Feb 17, 2020, 7:45 PM IST

जालोर. जिले के सरकारी अस्पतालों में मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना के कार्य को संभालने के लिए सरकार ने 2012 में संविदा पर कम्प्यूटर ऑपरेटर लगाए थे. जो पिछले 8 सालों से कार्य कर रहे थे, लेकिन अब सरकार ने उनके कार्यकाल को खत्म करने का फैसला ले लिया. जिसके कारण ऑपरेटरों ने उनके कार्यकाल को बढ़ाने और बोनस अंक देकर स्थाई करने की मांग की है.

कम्प्यूटर कर्मियों ने सौंपा ज्ञापन

ज्ञापन में बताया कि मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना को ऑनलाईन संचालित करने के लिए सरकार ने अस्थाई कम्प्यूटर ऑपरेटर लगाए थे, जो विथ कम्प्यूटर कार्य कर रहे है. जिनको 8 हजार 500 रुपये वेतन के तौर पर दिया जा रहा है, लेकिन अब उनके कार्यकाल को आगे नहीं बढ़ाया गया है. जिसके कारण प्रदेश में करीबन 4000 हजार युवा बेरोजगार हो जाएंगे.

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अखिल राजस्थान मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना और जांच योजना कम्प्यूटर ऑपरेटर महासंघ के बैनर तले दिए गए ज्ञापन में 5 सूत्रीय मांग रखी गई है. जिसमें बताया गया कि एमएनडीवाई के तहत आदेश निकाल कर 2020-21 में वित्तिय स्वीकृति जारी करवाने, इस योजना में आठ सालों से कार्य करने वाले ऑपरेटरों को बोनस अंक देकर परमानेंट करने, मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना में लगे और आरोग्य योजना के तहत लगे ऑपरेटरों का वेतन एक समान यानि की 16 हजार 1 सौ 25 रुपये करने, आगामी सभी अनुबंध राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसायटी से करने और राजकीय अस्पतालों में अभी केवल निःशुल्क दवा का ऑनलाइन कार्य ही करवाया जा रहा है. जिसकी जगह सभी प्रकार के कार्य इनसे करवाए मांग रखी है. उन्होंने बताया सरकार द्वारा उनका कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया तो बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे.

4 हजार लोगों के सामने खड़ा हो गया परिवार का पोषण करने का संकट

प्रदेश में मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना शुरू की तो चिकित्सा विभाग ने संविदा पर 4 हजार लोगों को रोजगार दिया था. जिसके बाद लगातार इनका कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है, लेकिन इस बार इनका कार्यकाल यह कह कर रोक दिया कि वित्तीय स्वीकृति नहीं है.

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ऐसे में अगर इनकी वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं की गई तो 4 हजार लोगों के सामने परिवार का पालन पोषण करने का संकट खड़ा हो जाएगा. इसके साथ राजकीय अस्पतालों में मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना का कार्य भी प्रभावित होगा.

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