भीनमाल (जालोर).कोरोना की महामारी के चलते इस बार शिक्षा सत्र कब से प्रारंभ होगा, यह अभी तक निश्चित नहीं है. लेकिन यह नया शिक्षा सत्र राजस्थान के नौनिहालों के लिए बहुत सारी खुशियां लेकर आने वाला है. इसका कारण यह है कि प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों के लिए पुस्तकें इस बार नए रूप में सामने आएंगी. पाठ्यक्रम भी वही है और पाठ भी उतने ही हैं, लेकिन फिर भी बच्चों के बस्ते का बोझ काफी कम हो गया है.
3 महीने के हिसाब से होंगी किताबें
राज्य में पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए इस बार पुस्तकें कुछ विशेष प्रकार की बन कर आई हैं. अब उनके लिए अलग-अलग विषयों की नहीं, बल्कि महीनों की किताब है. सरकार बच्चों के लिए त्रैमासिक पाठ्यपुस्तक लेकर आई है. इसमें 3 महीने की एक किताब होगी. जिसमें प्राथमिक स्तर के सारे विषयों के पाठ सम्मिलित होंगे.
बच्चों के कंधे का बोझ घटा
जुलाई, अगस्त और सितंबर के महीने में अलग-अलग विषयों के जो-जो पाठ पढ़ाए जाने होते हैं, उस पूरी पाठ्यसामग्री की एक किताब बनाई गई है. हर 3-3 महीने की अवधि की ये पुस्तके बदलेंगी. ऐसे में बच्चे एक ही किताब स्कूल लेकर जाएंगे. एक तिमाही पूरी होने पर उस किताब को घर रख कर दूसरी तिमाही की किताब ले जानी होगी. जिससे बच्चों के कंधे का बोझ कम हो जाएगा.
ऐसा करने वाला राजस्थान पहला राज्य
इस योजना के लागू होने के बाद राजस्थान बस्ते के बोझ को कम करने की दिशा में ठोस कदम उठाने वाला पहला राज्य बन गया है. राजस्थान सरकार ने एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत पिछले वर्ष राज्य के सभी 33 जिलों के एक-एक विद्यालय में इस मॉडल की पुस्तकों को प्रयोग में लाया था. उन विद्यालयों के प्रयोगों की सफलता के बाद इसे पूरे राज्य में लागू करने का निर्णय लिया गया है. शिक्षा जगत में सरकार के फैसले को लेकर खुशी व्यक्त की गई है.
एक सरकारी शिक्षक की है यह साधना
दरअसल, यह सारा बदलाव पिछले 12 वर्षों से चल रहे एक शिक्षक के प्रयासों से हुआ है. ये शिक्षक संदीप जोशी हैं. जो वर्तमान में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के सदस्य भी हैं. इन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अब तक 25 से अधिक नवाचार किए हैं और शैक्षिक नवाचारों के लिए उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने इन्हें सम्मानित भी किया है.
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शिक्षक संदीप जोशी शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े माने जाने वाले राजस्थान के जालोर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत हैं. जिन्होंने साल 2008 में विस्तृत अध्ययन और शोध के बाद मासिक पाठ्य पुस्तकों की संकल्पना शिक्षा विभाग के सामने रखी थी. उन्होंने उस समय इस मॉडल की पुस्तकें भी बनाई. इसके बाद सरकार और शिक्षा विभाग के सामने प्रस्तुत भी की.
12 वर्षों से सुझाव पर हो रहा था मंथन
राज्य में प्रारंभिक शिक्षा परिषद द्वारा सभी विषयों का मासिक पाठ्यक्रम निर्धारित किया हुआ होता है और उसी के आधार पर शिक्षकों को अध्यापन करवाना होता है. जोशी ने इस पाठ्यक्रम विभाजन को आधार बनाते हुए 1 महीने में अलग-अलग विषयों के जो अध्याय पढ़ाए जाने होते हैं, उन सभी को मिलाकर एक पुस्तक का रूप दिया और इस प्रकार उन्होंने प्राथमिक कक्षाओं के लिए त्रैमासिक और छठी, सातवीं और आठवीं कक्षा के लिए मासिक पाठ्य पुस्तकों की संरचना तैयार की. पिछले 12 वर्षों से यह सुझाव शिक्षा जगत में बहुत चर्चा में रहा. शिक्षा विभाग की पत्रिका शिविरा के दिसम्बर 2008 के अंक में पूरी योजना प्रकाशित हुई.