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स्पेशल: महज 25 साल की उम्र में बने जज, कहा- तारीख पर तारीख नहीं देंगे, जल्द निपटाएंगे केस - sanchor news

आदित्य विश्नोई ने राजस्थान में 106 स्थान प्राप्त किया है. परिणाम आने के बाद आदित्य विश्नोई को वन मंत्री सुखराम विश्नोई ने फोन और ट्विटर पर बधाई दी है.

25 year old young becomes judge

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Published : Nov 23, 2019, 3:32 PM IST

सांचौर(जालोर).आरजेएस भर्ती परीक्षा 2018 का परिणाम आ चुका है. महज 25 साल की उम्र में आदित्य विश्नोई ने आरजेएस की परीक्षा में सफलता हासिल की है. उन्होंने ईटीवी भारत के साथ अपने अनुभवों को साझा किया है. आदित्य विश्नोई ने राजस्थान में 106 स्थान प्राप्त किया है. परिणाम आने के बाद आदित्य विश्नोई को वन मंत्री सुखराम विश्नोई ने फोन और ट्विटर पर बधाई दी है.

महज 25 साल की उम्र में आदित्य विश्नोई बने जज

आदित्य ने बताया कि तीन चरणों में होने वाली आरजेएस की परीक्षा को हल करने में बहुत मेहनत लगी. साथ ही ये नहीं सोचा था कि पहले ही प्रयास मे इतनी बड़ी सफलता मिलेगी. लेकिन ये जरूर तय हो गया था कि सिलेक्शन हो जाएगा. आदित्य ने बताया कि 12वीं कक्षा के बाद से ही कानून की पढ़ाई करने का सोच लिया था. आदित्य ने कानून की पढ़ाई पटियाला यूनिवर्सिटी से की है.

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आदित्य की खास बात ये रही है कि वे पहली कक्षा से लेकर कॉलेज की परीक्षा तक में हमेशा पहले स्थान पर रहे. इसी का नतीजा है कि आदित्य आरजेएस 2018 परीक्षा में भी चयनित हो गए. आदित्य ने बताया कि लोगों को न्याय दिलाने में न्यायालय का कितना बड़ा हाथ होता है. वहीं आदित्य भी शुरू से समाज से जुड़कर लोगों की मदद करते आए हैं. इसलिए आदित्य ने आरजेएस को चुना. आदित्य ने कहा कि पेंडिंग मामले को हल करेंगे फिर चाहे वो किसी से भी जुड़ा हुआ मामला हो.

कोर्ट केस को जल्द निपटाने का काम करेंगे...

आदित्य ने कहा कि सिस्टम के साथ एक जज की जिम्मेदारी भी बनती है कि वो मामले पर तारीख पर तारीख ना देकर जल्दी से लोगों को न्याय दिलाए. उन्होंने कहा कि तारीख तब ही दें जब जरूरत हो. आदित्य ने कहा कि मेरी जिम्मेदारी रहेगी लोगों को जल्दी न्याय दिलाने की, जिससे गरीब लोगों का नुकसान भी ना हो.

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परिवार का मिला सहयोग...

आदित्य के पिता सांचौर के पूर्व बीइइओ रहे हैं. वहीं वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय धानता में प्रधानाचार्य पद पर हैं और हमेशा उनका मार्गदर्शन करते रहे है. आदित्य को न्यायिक सेवा में जाने का सुझाव भी उनके पिता भगवानाराम का रहा है. आदित्य ने बताया कि उन्हें पूरे परिवार का सहयोग मिला. माता पिता दूर रहने के बाद भी हर पल मोटीवेट करते थे. साथ ही सहपाठी दोस्तों का भी बहुत सहयोग मिला.

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