जैसलमेर. भारतीय सेना की दक्षिण कमान के सबसे बड़े युद्धाभ्यास का शुक्रवार को जैसलमेर में समापन हुआ. इस दौरान लगभग 400 पैराट्रूपर्स ने एक साथ हजारों फीट की ऊंचाई से पैरा जंप की.
पिछले शनिवार से चल रहे इस युद्धाभ्यास में ऐसा पहला मौका है जब पाकिस्तान से सटी सीमा पर नई टेक्नोलॉजी से वॉर एक्सरसाइज की गई. भारतीय सेना ने ये प्रूव कर दिया कि भविष्य में लड़े जाने वाले युद्ध परमाणु शक्ति से लैस देशों के बीच कम समय में और सीमित स्थान पर लड़े जा सकते हैं. शुक्रवार को समापन के मौके पर थल सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे, सदन कमान जेओसी लेफ्टिनेंट जनरल जेएस नैन, जेओसी बैटल एक्स डिवीजन मेजर जनरल अजित सिंह गहलोत मौजूद रहे.
भारतीय सेना का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास
दरअसल पड़ोसी देश से 80 किलोमीटर की दूरी पर जैसलमेर जिले के रेगिस्तानी इलाके में भारतीय सेना की दक्षिण कमान का अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास चल रहा था. जिसका शुक्रवार को समापन हो गया. इस वॉर एक्ससाइज में भारतीय सेना के जवानों ने जिस तरह का जोश और जुनून दिखाया उससे परमाणु परीक्षणों को भी सहन करने वाली ये रेगिस्तानी धरती भी थर्रा गई.
कच्छ के रण से थार तक युद्धाभ्यास
भारतीय सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवाने की मौजूदगी में गुजरात में कच्छ के रण से लेकर राजस्थान के मरुस्थल तक चल रहे सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना ने अपनी पारंपरिक और मॉडर्न तकनीकी का बेहतरीन ढंग से धरातल पर प्रदर्शन किया. पहली बार युद्धाभ्यास मानवरहित भी किया जा रहा है. दरअसल बदलते समय के साथ भारतीय सेना भी कदमताल कर रही है और ये बात उभरकर सेना के तीनों अंग के इस संयुक्त युद्धाभ्यास में सामने आ रही है.
मानव रहित स्पेस टेक्नोलॉजी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी भारतीय सेना