जैसलमेर. फतेहगढ़ उपखंड में गत 15 फरवरी को 3 दलित युवकों को गधों को चुराने के शक में भीड़ ने मारपीट की, इसके बाद इन युवकों को सांगड़ पुलिस के हवाले कर दिया गया. सांगड पुलिस ने तीनों युवकों को धारा 151 के तहत गिरफ्तार कर फतेहगढ़ एसडीएम कोर्ट में पेश किया. जहां से उन्हें जमानत मिल गई. शनिवार को इन युवकों के साथ मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इसके बाद उच्चाधिकारियों से दबाव आने के बाद पुलिस ने उन युवकों से मामला दर्ज करवाकर 1 आरोपी को गिरफ्त में ले लिया जबकी 1 नाबालिग को निरुद्ध किया.
वीडियो वायरल होते ही पुलिस ने बदला जांच का एंगल बताया जा रहा है कि तीनों युवकों ने पहले गधों को बांध दिया और चुराने की नीयत से युवकों ने शाम तक इंतजार किया. इसके बाद उन्होंने एक गाड़ी भी मंगवाई, लेकिन तब तक यह बात गांव में बात फैल गई कि गधे चुराकर ले जा रहे हैं, और पकड़कर इनके साथ मारपीट की.
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15 को मारपीट, 16 को जमानत और 22 फरवरी को मुकदमा दर्ज
इस पूरी घटना में पहले पुलिस ने राजीनामे की बात करते हुए चोरी करने की फिराक में आए 3 युवकों को 151 के तहत गिरफ्तार कर लिया. उसके बाद युवकों को जमानत भी मिल गई. शनिवार को मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. इसके बाद मामला एसपी तक पहुंचा और उसके बाद एसटी-एससी सेल के उपाधीक्षक मुकेश चावड़ा को मामले की जांच के लिए भेजा गया. इसके बाद पुलिस हरकत में आई तथा दलित युवकों से मुकदमा दर्ज करवाकर मारपीट करने वाले भवानी पुत्र महादान को गिरफ्तार कर लिया जबकी एक नाबालिग को निरुद्ध किया.
सवाल यह है कि पहली बार जब सांगड़ थाने में 15 फरवरी को मामला पहुंचा तो राजीनामे और मामले को रफा- दफा करने को लेकर पुलिस ने मारपीट के शिकार पीड़ितों के खिलाफ ही 151 में मामला दर्ज कर लिया. जब पुलिस को इस मामले की पहले से ही जानकारी थी तो मारपीट और चोरी का मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया?