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उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का जैसलमेर दौरा : भारत-पाक सीमा पर तनोट माता के किए दर्शन, लोंगेवाला युद्धस्थल का अवलोकन

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Published : Sep 26, 2021, 9:33 PM IST

देश के उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू 26 सितंबर रविवार से पांच दिवसीय राजस्थान दौरे पर हैं. इसके पहले चरण में आज वे जैसलमेर पहुंचे. गौरतलब है कि भारतीय सेना 1971 के भारत-पाक युद्ध की स्वर्णिम विजय वर्ष मना रही है और इसी कार्यक्रम की कड़ी में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू आज से दो दिवसीय जैसलमेर दौरे पर हैं.

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का जैसलमेर दौरा
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का जैसलमेर दौरा

जैसलमेर. उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू रविवार को दोपहर 1 बजे वायुसेना के विशेष विमान से जैसलमेर के एयरफोर्स स्टेशन पहुंचे. जहां राज्यपाल कलराज मिश्र ने पुष्पगुच्छ भेंट कर उनकी अगवानी की. एयर स्टेशन पर उप राष्ट्रपति का स्वागत करने के दौरान राज्यसभा सदस्य राजेन्द्र गहलोत, राजस्थान सरकार के ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला और जैसलमेर विधायक रूपाराम समेत कई नेता मौजूद रहे.

एयरफोर्स स्टेशन से उप राष्ट्रपति का काफिला जैसलमेर के सर्किट हाउस पहुंचा, जहां पर दोपहर का भोजन करने के बाद वे वायुसेना के विशेष हेलीकॉप्टर से भारत-पाक सीमा पर तनोट माता मंदिर पहुंचे. उप राष्ट्रपति ने बॉर्डर पर स्थित तनोट माता मंदिर में दर्शन किये. तनोट पहुंचने पर हेलीपैड पर सीमा सुरक्षा बल राजस्थान फ्रंटियर के आईजी पंकज घुमर, बीएसएफ डीआईजी नॉर्थ अरुण कुमार सिंह, जिला प्रमुख प्रतापसिंह ने उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और राज्यपाल कलराज मिश्र का स्वागत किया. इस दौरान जिला कलेक्टर आशीष मोदी और पुलिस अधीक्षक अजय सिंह भी मौजूद रहे.

1971 के युद्ध की यादें

तनोट माता मंदिर में विशेष पूजा अर्चना

मंदिर में उप राष्ट्रपति ने अपनी पत्नी एम. उषा नायडु के साथ तनोट माता की विशेष पूजा-अर्चना की और देश में खुशहाली की कामना की. इस दौरान उन्होंने मंदिर में भारत-पाक युद्ध के समय पाकिस्तान की ओर से फेंके गए बमों को नजदीक से देखा. माना जाता है कि तनोट माता के चमत्कार के कारण ये बम नहीं फटे. उन्होंने तनोट मंदिर परिसर में स्थित युद्ध की विजय स्मृति में बने विजय स्तंभ पर वीर सैनिकों को पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस दौरान बीएसएफ के जवानों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया.

बैटल ऑफ़ लोंगेवाला का किया अवलोकन

उप राष्ट्रपति ने तनोट माता मंदिर में दर्शन करने के बाद 1971 के प्रसिद्ध युद्ध स्थल लोंगेवाला का रुख किया. जहां मेजर जनरल अजीत सिंह गहलोत ने उन्हें ऐतिहासिक लोंगेवाला युद्ध की जानकारी दी. इस दौरान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू एवं उनकी पत्नी ने राज्यपाल कलराज मिश्र, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, कैबिनेट मंत्री बी.डी. कल्ला के साथ प्रसिद्ध युद्ध स्थल को देखा.

तनोट माता मंदिर में उप राष्ट्रपति

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फेसबुक पोस्ट कर साझा किया अनुभव

इस दौरान उपराष्ट्रपति ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में लोंगेवाला युद्ध स्थल की अपनी यात्रा को जीवन का अविस्मरणीय अवसर बताया. उन्होंने लिखा कि भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट, धूल भरे थार रेगिस्तान में रेत के टीले पर खड़े हो कर उस भीषण युद्ध की गाथा सुनना और हमारे वीर सैनिकों के पराक्रम की कहानियां सुनना, मेरी स्मृति में हमेशा के लिए अंकित रह गया है.

उप राष्ट्रपति ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा कि लोंगेवाला युद्ध में मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी और 23 पंजाब की A कंपनी के उनके साथी सैनिकों के शौर्य की सराहना की. उप राष्ट्रपति ने लिखा लोंगेवाला का युद्ध देश के सामरिक इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है, जिसमें देश के फौलादी इरादों को उजागर किया गया, जिसमें संख्या बल में कम सैनिकों ने अपने से कहीं बड़ी दुश्मन की आगे बढ़ती सेना को रोक दिया.

विजिटर्स बुक में अनुभव लिखते उप राष्ट्रपति

1971 की लड़ाई के कारणों पर लिखते हुए उपराष्ट्रपति ने लिखा कि इस युद्ध की शुरुआत पाकिस्तानी सेना की ओर से पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर किए जा रहे बर्बर अत्याचारों और उसके कारण बड़ी संख्या में वहां से शरणार्थियों के भारत पलायन के कारण हुई. उन्होंने लिखा कि 13 दिन के उस युद्ध में भारत को निर्णायक जीत हासिल हुई और बांग्लादेश के लोगों को एक दमनकारी शासन से मुक्ति मिली.

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इस निर्णायक युद्ध से पहले और उसके दौरान के घटनाक्रम पर उप राष्ट्रपति ने लिखा कि 4 दिसंबर 1971 के उस रात लोंगेवाला चौकी पर तैनात भारतीय सैनिक एक असंभव से दिखने वाले युद्ध का सामना कर रहे थे. दुश्मन के मुकाबले उनकी संख्या बहुत कम थी, सामने दुश्मन की हल्के हथियारों से लैस दो टैंक रेजिमेंट और दो रिकॉइल लैस गन थीं, लेकिन इन बहादुर सैनिकों ने भारतीय सेना की शौर्य परंपरा के अनुरूप यादगार पराक्रम का प्रदर्शन किया और मातृ भूमि की रक्षा में वहीं डट कर दुश्मन का मुकाबला किया.

भारतीय सैनिकों के जज्बे को सलाम

उपराष्ट्रपति नायडु ने भारतीय सैनिकों के कभी हार न मानने के जज्बे को सलाम किया है. लोंगेवाला युद्ध को साहस और शौर्य की अद्भुत गाथा बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोंगेवाला युद्ध की कहानियां आज भी जीवित हैं और सैनिकों की पीढ़ियों को प्रेरणा दे रही हैं.

लोंगेवाला पोस्ट के बारे में जानकारी लेते उप राष्ट्रपति व अन्य

क्षेत्र की संरक्षक देवी के रूप में तनोट माता पर सैनिकों और स्थानीय समुदाय की अगाध आस्था के बारे लिखते हुए उपराष्ट्रपति ने लिखा कि लोंगेवाला युद्ध में विपरीत परिस्थितियों में भी विजय और वीरगति की गाथाओं से सैनिकों की देवी मां में आस्था और दृढ़ हुई है.

विज़िटर बुक में बीएसएफ जवानों की सराहना

तनोट माता मंदिर की विजिटर बुक में उप राष्ट्रपति ने सीमा सुरक्षा बल के सैनिकों के संकल्प और समर्पण की सराहना की, जो थार रेगिस्तान की कठिन परिस्थितियों में भी सीमाओं की रक्षा में तत्पर रहते हैं.

रेतीले टीलों पर लोक कला का उठाया लुफ्त

उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शाम को जैसलमेर के विश्व प्रसिद्ध मखमली रेतीले टीलों को देखने के लिए सम इलाके का रुख किया. वहां स्थानीय लोक कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये.

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