चित्तौड़गढ़. कोरोना काल में कई महीनों तक जहां सारे कामकाज ठप हो गए थे, वहीं ट्रेनों के पहिए भी थम गए थे. लॉक डाउन की वजह से 23 मार्च से बंद ट्रेनें अब धीरे-धीरे पटरी पर दौड़ने लगी है. फिलहाल सभी ट्रेनें तो शुरू नहीं हो पाई है, लेकिन जो ट्रेनें शुरू हुई है, उनमें यात्रियों की आवाजाही शुरू हो गई है. इन ट्रेनों में यात्रियों की संख्या भी धीरे-धीरे बढ़ने लगी है.
चित्तौड़गढ़ में नहीं बढ़े ट्रेनों में यात्री अनलॉक के बाद ट्रेन शुरू हुई, तो यात्री सफर करने में कतरा रहे थे. ऐसे में अभी लोग सफर तो करने लगे हैं, पर पहले जितनी संख्या नहीं है. प्रतिदिन चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन और ऑनलाइन टिकटिंग से करीब 75 हजार रुपए की आय हो रही है.
चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन के प्रबंधक सुभाष पुरोहित ने बताया कि चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से पहले 32 ट्रेनों का आना-जाना लगा रहता था. लॉकडाउन में सभी बंद हो गई थी. वहीं अब रेलवे मुख्यालय के आदेश पर 12 ट्रेनों का परिचालन शुरू हो पाया है. ऐसे में रेलवे को लाखों का घाटा सहना पड़ रहा है.
उन्होंने बताया कि पहले लगभग पांच लाख रुपए की टिकट बुक की जाती थी, जिसमें टिकट विंडो से करीब साढ़े तीन लाख रुपए की टिकट और ऑनलाइन ढेड़ लाख रुपए की टिकट बुक हुआ करती थी, लेकिन अब केवल 75 हजार रुपए की टिकट ही बुक की जा रही है. जनरल बुकिंग भी रेलवे स्टेशन के रिजर्वेशन से होता है.
पुरोहित ने बताया कि 12 ट्रेनों का परिचालन हो रहा है. उसमें भी 75 से 110 टिकट हो रहे है, जिनमें 350 से 400 यात्री सफर कर रहे हैं, जबकि कोरोना काल से पहले यात्रियों की संख्या पांच हजार या उससे अधिक हुआ करता था. जानकारी मिली है कि सामान्य टिकट की बुकिंग भी रिजर्वेशन काउंटर से हो रहा है. अनारक्षित टिकट विंडो शुरू नहीं की गई अभी तक, लेकिन जानकारी के अभाव में यात्री गण को टिकट लेने में समस्या आ ही है.
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पहले ट्रेन रवाना होने के पांच मिनट पूर्व भी सामान्य टिकट मिल जाता था, लेकिन अब एक घंटे पूर्व आने पर भी टिकट बुक नहीं हो रही है. यात्रियों को इस बारे में जानकारी नहीं है, तो वह पुराने नियमानुसार एक घंटा या आधा घंटा पूर्व जाकर टिकट की मांग करते हैं. रिजर्वेशन काउंटर पर ट्रेन चलने से 3 से 4 घंटे पूर्व टिकट बुक होती है, चाहे वह सामान्य वर्ग के टिकट ही क्यों ना हो.