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जैसलमेर: गणेश चतुर्थी पर कोरोना का ग्रहण, भगवान गणेश की मूर्तियों को नहीं मिल रहे खरीदार

कोरोना का ग्रहण अब गणेश चतुर्थी पर पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है. इस बार भगवान गणेश की मूर्तियों की बिक्री नहीं होने से जहां कारीगर परेशान हैं तो भक्तों के भी गणेश पांडाल लगाने पर सरकार की तरफ से रोक लगा दी गई है.

Ganesh Chaturthi, Corona Virus
गणेश चतुर्थी पर कोरोना का ग्रहण

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Published : Aug 21, 2020, 5:11 PM IST

जैसलमेर. देशभर में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है. कोरोना के चलते दुनियाभर के उद्योग चौपट हो गए. पूरी दुनिया आर्थिक मंदी की मार झेल रही है. गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की मूर्ति बनाने वाले कारीगरों को भी इसका सामना करना पड़ रहा है. इस बार भगवान गणेश की मूर्तियों की मांग में भारी गिरावट देखने को मिली है. जिसका सीधा असर मूर्तिकारों की आमदनी पर पड़ा है.

बड़ी मूर्तियों की डिमांड बंद

बड़ी मूर्तियों की डिमांड नहीं

कोरोना काल में सरकार ने गली मोहल्लों में लगने वाले गणेश पांडालों पर रोक लगा दी है. इन पांडालों में भगवान गणेश की बड़ी-बड़ी मूर्तियां लगाई जाती थी. सरकार ने लोगों से घरों में ही गणेश जी की स्थापना करने को कहा है. जिसके बाद लोग एक, दो फीट की मूर्ति ही खरीद रहे हैं. एक बड़ी मूर्ति जो 10 से 15 फीट की होती थी जो 10 से 25 हजार में बिकती थी. अब उस पर रोक है तो मूर्तिकारों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है.

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भक्त नहीं पहुंच रहे मूर्तियां खरीदने

जैसलमेर में पिछले 15 सालों से गणेश जी की मूर्तियां बनाने वाले नाथूराम बताते हैं कि हर साल 100 से ऊपर मूर्तियां बिक जाती थी. लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि पूरे-पूरे दिन में केवल 1 या 2 ग्राहक ही मूर्तियां खरीदने पहुंच रहे हैं. नाथूराम ने बताया कि इस साल केवल 20, 25 मूर्तियां ही बिकी हैं. बड़ी मूर्तियों के ऑर्डर भी नहीं आ रहे हैं. क्योंकि सरकार चौराहों पर मूर्तियां बैठाने पर रोक लगा दी है. इसलिए केवल घर में बैठाने के हिसाब से ही मूर्तियां बनाई जा रही हैं.

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प्रदेश भर में गणेश चतुर्थी पर मूर्तियां बनाने वाले कारीगर परेशान हैं. मूर्तियों की डिमांड में भारी कमी देखने को मिली है. अलग-2 जिलों में हजारों मूर्तिकार ब्याज पर पैसे लेकर गणेश चतुर्थी पर मूर्तियां बनाते हैं, लेकिन अब मुनाफा तो दूर कारीगरों को घर चलाने के लिए भी कर्जा लेना पड़ा रहा है. सरकार की तरफ से भी इस तबके को कोई मदद नहीं मिल रही है.

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