जयपुर.पिंकसिटी के हृदय स्थल के रूप में प्रसिद्ध रामनिवास बाग के बीच में बने अल्बर्ट हॉल स्मारक पर शुक्रवार को राजस्थान के नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह होगा. इस कार्यक्रम में देशभर की जानी-मानी शख्सियत शिरकत करेंगी. खास बात है कि 2018 में अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ इसी जगह पर ली थी. शुक्रवार को आयोतिज हुए समारोह में सीएम भजनलाल शर्मा के साथ दोनों डिप्टी सीएम दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा ने पद और गोपनीयता की शपथ ली.
टॉउन हॉल एक मशविरे पर बना म्यूजियम: महाराजा राम सिंह की ख्वाहिश के मुताबिक अल्बर्ट हॉल संग्रहालय की जगह एक टाउन हॉल बनाया जाना था, पर महाराजा "माधोसिंह 2" ने इस इमारत को एक कला संग्रहालय के रूप में पहचान देने का मानस बनाया. इस म्यूजियम के अहाते में कई पुराने चित्र ,दरिया ,हाथी दांत ,कीमती पत्थर ,धातु ,मूर्तियां और रंग बिरंगे कई देसी-विदेशी सामान देखने को मिलेंगे. यह संग्रहालय "राम निवास उद्यान" के बाहरी और वॉल सिटी के न्यू गेट के ठीक सामने स्थित है. भारत और अरबी शैली में बनाई गई इस इमारत की डिजाइन सैमुअल स्विंटन जैकब ने की थी. पब्लिक संग्रहालय के रूप में इसे साल 1887 में खोला गया था. कहा जाता है कि जब प्रिंस ऑफ वेल्स, अल्बर्ट एडवर्ड जयपुर की यात्रा पर आए. उनके नाम पर ही इस इमारत का नामकरण किया गया था. बाद में इसका उपयोग कैसे किया जाए , ये दुविधा काफी समय तक बनी हुई थी. तब महाराजा सवाई राम सिंह शुरू में चाहते थे कि संग्रहालय भवन एक टाउन हॉल हो, कुछ विद्वानों ने इसे सांस्कृतिक या शैक्षिक उपयोग में लाने का सुझाव भी दिया, लेकिन डॉक्टर थॉमस होबिन हेंडली ने स्थानीय कारीगरों को अपनी शिल्प कलाकारी दिखाकर इसे संग्रहालय बनाने का सुझाव दिया.
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1887 में जनता के लिए खोला गया संग्रहालय: जयपुर के तत्कालीन महाराजा सवाई माधो सिंह द्वितीय को उनका यह विचार पसंद आया और उन्होंने इसे 1880 में जयपुर के स्थानीय शिल्पकारों की कलाकृति को प्रदर्शित करने वाला एक संग्रहालय बनाने का फैसला किया. संग्रहालय को आखिर में 1887 में जनता के लिए खोल दिया गया . म्यूजियम की भव्य वास्तुकला इंडो-सरसेनिक शैली में निर्मित है. इस म्यूजियम में अब जयपुर कला के कुछ बेहतरीन काम, पेंटिंग, कलाकृतियां, आभूषण, कालीन, धातु, पत्थर और हाथीदांत की मूर्तियां मौजूद हैं, यहां मिस्र में एक पुजारी के परिवार की महिला सदस्य टूटू ममी है, इस तरह से अल्बर्ट हॉल संग्रहालय भी भारत के उन छह स्थानों में से एक है, जहां आप मिस्र की ममी को देख सकते हैं.
रामनिवास बाग की शान भी है अनूठी: जयपुर का रामनिवास बाग चौड़ा रास्ता के मुहाने न्यू गेट के ठीक सामने है. करीब एक किलोमीटर का यह क्षेत्र सालों से सियासी गतिविधियों का केन्द्र रहा है. जनसंघ के जमाने से त्रिपोलिया से लेकर चौड़ा रास्ते तक राजनीतिक रैलियां हुई, आगे के कॉर्नर पर मौजूद रामलीला मैदान सियासी हलचलों का केन्द्र बना और एक दशक में रामनिवास बाग का आहता अब दूसरे मुख्यमंत्री की शपथ का गवाह बना.
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1868 में बना रामनिवास बाग: साल 1868 में महाराजा सवाई राम सिंह ने रामनिवास बाग को बनवाया था. यहां एक चिड़ियाघर, दरबा, पौधा घर, वनस्पति संग्राहलय से युक्त एक हरा भरा विस्तृत बगीचा तैयार किया गया. वहीं खेल का प्रसिद्ध मैदान भी सालों तक यह बाग रहा है. बाढ राहत परियोजना के तहत साल 1865 में सवाई राम सिंह द्वितीय ने इसका निर्माण करवाया था. हाल ही में, सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए यहां एक ऑडिटोरियम रवीन्द्र मंच और आर्ट गैलरी बनवाई गई है.