राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

किसानों के लिए सिरदर्द बनी टिड्डी, तो वन्य जीवों के लिए पौष्टिक आहार..जानिए कैसे

देश भर में इन दिनों टिड्डी दल के हमलों से सरकार और किसान दोनों परेशान हैं. लेकिन फसलों को नुकासान पहुंचाने वाली टिड्डियां गोडावण समेत कई वन्य जीवों के लिए पौष्टिक आहार बन गईं हैं. बेहतर आहार मिलने से वन्य जीवों की प्रजनन क्षमता बढ़ेगी जिससे इनकी संख्या में इजाफा होने की उम्मीद है.

locust nutritious diet for godavans
टिड्डी गोडावण के लिए पौष्टिक आहार

By

Published : Jul 11, 2020, 6:23 PM IST

जैसलमेर. सीमा पार पाकिस्तान से जैसलमेर सहित पश्चिमी राजस्थान में कई दिनों से टिड्डी दल का आगमन हो रहा है. इससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकार हर प्रकार के जतन कर रही है. हाल ही में जैसलमेर सहित पश्चिमी राजस्थान में ड्रोन और अन्य संसाधनों के अलावा हेलीकॉप्टर से भी टिड्डियों पर दवाओं का छिड़काव कराया जा रहा है.

हालांकि किसानों और सरकार के लिए आफत बनी टिड्डी गोडावण सहित कई अन्य वन्य जीवों के लिए वरदान साबित हो रही है. जैसलमेर में राष्ट्रीय मरु उद्यान और उसके आसपास के इलाकों में गोडावण सहित कई वन्यजीवों के लिए टिड्डियां बेहतर पौष्टिक आहार का विकल्प बनी हुईं हैं. उम्मीद लगाई जा रही है कि इस बार गोडावण के प्रजनन में इसका असर दिखेगा और बेहतर परिणाम सामने आएंगे.

टिड्डी गोडावण के लिए पौष्टिक आहार

यह भी पढ़ें :धौलपुरः खरीफ फसल की निराई गुड़ाई का काम शुरू, बारिश नहीं होने पर सता रही चिंता

राष्ट्रीय मरु उद्यान के अधिकारी डॉ. कपिल चंद्रवाल ने बताया कि टिड्डियों के आगमन का सर्वाधिक लाभ इस बार राज्य पक्षी गोडावण ने उठाया है. उनका कहना है कि टिड्डी में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है और वन्यजीवों को पर्याप्त मात्रा में पोष्टिक आहार मिले तो उसके शरीर का विकास अच्छा होता है और शारीरिक क्रियाएं बेहतर ढंग से कार्य करती हैं. ऐसे में उम्मीद है कि टिड्डियों का सेवन गोडावण के प्रजनन में काफी लाभकारी सिद्ध होगा जिसका परिणाम बेहतर होगा.

गौरतलब है कि प्रोटीन युक्त पोष्टिक आहार होने के साथ-साथ टिड्डी गोडावण का पसंदीदा आहार भी है, जिससे उनकी प्रजनन क्षमता बढ़ सकती है. सामान्यतः गोडावण यानी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड शर्मिला पक्षी होता है और यह 1 वर्ष में एक अंडा ही देता है. कभी-कभी तो गोडावण 2 से 3 वर्ष में एक अंडा देता है. जिस कारण इसकी प्रजाति पर विलुप्त होने का संकट भी मंडराता रहता है. हांलाकि पिछले वर्ष जैसलमेर में गोडावण के 10 अंडे मिले थे, जिससे चूजे भी निकल आए हैं. इनका सुदासरी स्थित हैचरी में संरक्षण किया जा रहा है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details