जैसलमेर. कोरोना वायरस को लेकर मचे हव्वै के बीच पर्यटन नगरी जैसलमेर में भ्रमण के लिए पहुंचे सैलानियों का बुरा हाल है. जी हां इन सैलानियों को यहां के होटल मालिक कमरे देते हुए घबरा रहे हैं, उन्हें भय है कि कोई विदेशी कोरोना से संक्रमित हुआ तो उन्हें और उनके स्टॉफ को परेशानी झेलनी पड़ सकती है.
विदेशियों को होटल में नो-रूम हालांकि जिला प्रशासन ने ऐसे सैलानियों के लिए राजकीय चिकित्सालय में स्क्रीनिंग की व्यवस्था की है, जिसके बाद उन्हें प्रमाण पत्र दिया जाता है, जिसे दिखाने पर ही होटल में उन्हें कमरा मिलता है. ऐस में बडी संख्या में विदेशी सैलानी इस समय राजकीय चिकित्सालय में इस प्रमाण पत्र के लिए परेशान होते दिखाई दे रहे हैं.
वहीं मौसम में हुए बदलाव के बाद सर्दी, खांसी, जुकाम के मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ गई, जिससे लोगों में भय है कि कहीं उन्हें कोरोना तो नहीं है, ऐसे में ये लोग भी बड़ी संख्या में जांच करवाने अस्पताल पहुंच रहे हैं. लेकिन राजकीय चिकत्सालय की ओपीडी में केवल एक से दो चिकित्सक ही कोरोना के लिए जांच कर रहा है.
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ऐसे में विदेशी सैलानियों के लिए सर्टिफिकेट जारी करने से लेकर स्थानीय लोगों की जांच करना उनके लिए मुश्किल काम हो गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोरोना को महामारी घोषित किए जाने के बाद जहां देशभर में गंभीरता बरती जा रही है, वहीं जैसलमेर में इसको लेकर लापरवाही का आलम साफ दिखाई दे रहा है. जिससे यहां आने वाले सैलानियों से लेकर स्थानीय लोग परेशान होते दिखाई दे रहे हैं.
इटली की रहने वाली एक महिला पर्यटक जो कई घण्टों से चिकित्सालय परिसर में इस प्रमाण पत्र के लिए भटक रही थी, उसने बताया कि यहां के चिकित्सक न तो उनकी भाषा समझते हैं और न ही उन्हें समझ पाते हैं. ऐसे में इनसे कम्यूनिकेट करने में बड़ी समस्या होती है.
वहीं उसने यह भी बताया कि जिला स्तर के राजकीय चिकित्सालय में व्यवस्थाओं के नाम पर कुछ भी नहीं हैं. जहां कोरोना वायरस के दौरान भीड़भाड़ से बचना चाहिए वहीं जो चिकित्सक प्रमाण पत्र बना रहा है, उसके पास स्थानीय मरीजों की भीड़ लगी है. ऐसे में उनके पास पहुंच पाना भी उनके लिए समस्या का कारण बन रहा है.