पोकरण.सदियों से चली आ रही पारंपरिक खेती की पद्धतियों और ग्रामीणों द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी अपने भरण-पोषण के लिए जिंदा रखी गई, उन तकनीकों की जानकारी के साथ-साथ खेती में आधुनिक तकनीकियों को अपनाकर उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल करके खेती में आने वाली लागत को कम करना आज के समय की आवश्यकता है. इसी उदेश्य के साथ कृषि विज्ञान केंद्र पोकरण ने ग्राम दुधिया में एक दिवसीय असंस्थागत प्रशिक्षण आयोजित किया, जिसमे 24 कृषक महिलाओं ने भाग लिया. गृह वैज्ञानिक डॉ. चारु शर्मा ने बताया कि वैज्ञानिक तकनीक के साथ पारंपरिक खेती के सिद्धांतों का उपयोग करके कृषि को सत्त यानी सस्टेनेबल और मुनाफे वाला व्यवसाय बनाया जा सकता है.
उन्होंने कृषक महिलाओं को गृह वाटिका में सब्जियों का महत्व एवं इसकी दैनिक आहार में उपयोगिता के विषय पर विस्तार से जानकारी दी. प्रसार वैज्ञानिक सुनील शर्मा ने सुरक्षित, पौष्टिक और किफायती भोजन उपलब्ध कराने के साथ ही खेती को सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से लाभदायक और टिकाऊ बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी यानि आईटी का इस्तेमाल करने की बात कही. उन्होंने आजकल युवा पढ़ लिखकर नौकरी की तलाश करते हैं, इससे बेहतर है कि वे स्वरोजगार की ओर अग्रसर हो और नए विचार के साथ उसमें नई तकनीक को विकसित कर अपनी आमदनी को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया.
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डॉ. सुनील ने क्षेत्र में ज्यादातर खेती मौसम के हालत पर टिकी है, जिसमें ज्यादा जोखिम है, लेकिन किसान घर बैठे कृषि वैज्ञानिकों के बताए तरीकों से इन समस्यायों से निपटने की बात बताई. पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. राम निवास ढाका ने कृषक महिलाओं को कृषि के साथ-साथ मिश्रित पशुपालन जैसे- गाय पालन, बकरी पालन और भेड़ पालन को अपनाकर इसमें आने वाली जोखिम को कम करने के लिए भी प्रेरित किया. उन्होंने अच्छी नस्ल के पशु पालने और उनका वैज्ञानिक विधि से पालन-पोषण कर अधिक दूध लेने का आह्वान किया.