जैसलमेर. कोरोना के भय के बीच हाल ही में जैसलमेर में एक झोलाझाप डॉक्टर ने गलत इंजेक्शन दे दिया था, जिससे मरीज की मौत हो गई थी. पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपी डॉक्टर विवेक कुमार यादव को गिरफ्तार किया था, लेकिन सवाल ये है कि हर बार किसी गरीब की मौत या किसी बड़े हादसे के बाद ही इस प्रकार की कार्रवाई क्यों की जाती है, प्रशासन पहले से ही सतर्कता क्यों नहीं बरतता है.
एक महीने पहले राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों को निर्देशित किया था कि झोलाझाप डॉक्टरों और नीम-हकीमों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. जिस पर शहर में स्थित मात्र तीन क्लीनिक पर कार्रवाई कर खानापूर्ति की गई थी.
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बता दें कि जिला कलेक्टर से जब इस मामले पर बात की गई तो उन्होनें कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि युवक की इस तरह से मृत्यु हुई. राज्य सरकार के नीम-हकीमों के खिलाफ कार्रवाई के सख्त निर्देश दिए गए हैं. जिसके बाद जिला प्रशासन और चिकित्सा विभाग की टीमों ने शहर में तीन जगहों पर कार्रवाई की थी.
उन्होंने कहा कि अभी पूरा सरकारी तंत्र और मशीनरी कोरोना को लेकर गंभीर है और उसमें व्यस्त है, लेकिन आगामी कुछ दिनों में ही जैसलमेर शहर सहित ग्रामीण इलाकों में इस प्रकार के झोलाझाप डॉक्टरों और नीम-हकीमों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.