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जैसलमेर में तेज आंधी से 864 वर्ष पुराने ऐतिहासिक सोनार दुर्ग के प्रवेश द्वार के दरवाजे का एक हिस्सा गिरा - और उसका एक हिस्सा गिर गया. गनीमत रही कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ और किसी को चोटें नहीं आ

जैसलमेर में रविवार को शाम आई तेज अंधड़ के चलते दुर्ग के प्रवेश द्वार थर्राया और उसका एक हिस्सा गिर गया. गनीमत रही कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ और किसी को चोटें नहीं आई.

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सोनार दुर्ग के प्रवेश द्वार का एक हिस्सा गिरा

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Published : May 17, 2020, 10:16 PM IST

जैसलमेर. जिले में रविवार देर शाम तेज आंधी चली. जिससे ऐतिहासिक 864 वर्ष पुराने सोनार दुर्ग के अखैपोला के दरवाजे का एक हिस्सा गिर गया. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि तेज आंधी के चलते यह दरवाजा जिस समय गिरा उस समय इसके आसपास कई लोग मौजूद थे. गनीमत रही कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ और किसी को चोटें नहीं आई.

सोनार दुर्ग के प्रवेश द्वार का एक हिस्सा गिरा

गौरतलब है कि जैसलमेर के सोनार किले का निर्माण 1156 ईस्वी में तत्कालीन महारावल राव जैसल ने त्रिकूट पहाड़ी पर करवाया था. इसके प्रवेश द्वार को सबसे अधिक मजबूती प्रदान की गई थी. जिसकी बदौलत कोई भी शासक इसे भेद नहीं पाया और इस किले को जीत नहीं पाया, लेकिन आज तेज आंधी की मार यह दरवाजा सहन नहीं कर पाया और उसका एक हिस्सा गिर गया.

बता दें कि विश्व प्रसिद्ध सोनार किला 864 वर्ष बाद भी उसी स्थिति में है और प्रतिवर्ष लाखों सैलानी इसे देखने देश और विदेश से आते हैं. हालांकि पूर्व में दुर्ग के कुछ हिस्सों में दरारें आई थी. जिसका भारतीय पुरातत्व विभाग और राजपरिवार द्वारा समय -समय पर मरम्मत करवाई गई.

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इतिहासकारों का मानना है कि इस किले के निर्माण में चूने का प्रयोग नहीं किया गया है और केवल पत्थरों के बीच विशेष प्रकार के जोड़ देकर इसे बनाया गया है. जो उस समय की अनूठी स्थापत्य कला को प्रदर्शित करती है.

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