जैसलमेर. भारत की पश्चिमी सीमा पर आजादी के 75 साल से देश की सुरक्षा के लिए अभेद्य सुरक्षा की भूमिका जैसलमेर (867th Foundation Day of Jaisalmer) निभा रहा है. धोरों के बीच तमाम चुनौतियों को झेलते हुए आगे बढ़ रहा जैसलमेर आज 867वां वर्ष मना रहा है. श्रावण शुक्ल द्वादशी संवत् 1156 ईस्वी में राजा जैसल देव ने जैसलमेर की स्थापना की थी. त्रिकुट पहाड़ी मेरुद्ध पर स्थापित होने के कारण और संस्थापक जैसल होने से इसका जैसलमेर पड़ा था.
जैसलमेर ने भौतिक उन्नति के शिखर से अकाल-सूखा की भीषण विभीषिकाएं झेली हैं. लेकिन इसके शासकों व स्थानीय निवासियों ने अपनी आन-बान-शान पर कभी आंच नहीं आने दी. तमाम विदेशी आक्रमणकारियों से लोहा लेते हुए यहां के वीर पुरुषों ने उनके मंसूबों को कभी कामयाब नहीं होने दिया. 19वीं सदी में भीषण आकाल झेलते हुए तमाम चुनौतियों के बीच जैसलमेर आगे बढ़ता रहा है. विशेषकर 1970 के दशक से यह जिला बुलंदियों को हासिल करता गया.
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जिन्ना के प्रलोभन को ठुकरायाः बंटवारे के समय जैसलमेर को मोहम्मद अली जिन्ना हर हाल में पाकिस्तान का हिस्सा बनाना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने तत्कालीन शासकों को खूब प्रलोभन दिए, लेकिन पूर्व महारावल गिरधर सिंह ने उनके सभी प्रलोभनों को ठुकराते हुए भारत में शामिल होने का मार्ग चुना. जैसलमेर की पहल पर ही जोधपुर व बीकानेर भी भारत में शामिल होने के लिए राजी हुए. बताया जाता है कि जैसलमेर को पाकिस्तान में शामिल करने के लिए जिन्ना ने कोरे कागज पर मनचाही शर्तें लिख कर देने का प्रस्ताव दिया था, तथा उन्हें मानने का वचन भी दिया. लेकिन गिरधर सिंह ने प्रजा के व्यापक हित में फैसला लिया.
कंधे से कंधा मिलाकर दिया साथः जैसलमेर के बाशिंदों की रग-रग में देशभक्ति समाई हुई है. इसकी झलक 1965 और 1971 के युद्ध के दौरान देखने को भी मिली है. पाकिस्तान के साथ हुए युद्धों में यहां के लोगों ने सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया. सीमा क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना की प्रत्येक गतिविधि की जानकारी समय रहते भारतीय सैन्य तंत्र को देते रहे. सेना के प्रत्येक आह्वान को अक्षरश: माना. 1971 में लौंगेवाला की लड़ाई (Battle of Longewala in 1971) को तो भारतीय थल और वायुसेना के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज किया गया है. इसके बाद कारगिल युद्ध के समय भी जब जम्मू.कश्मीर में सीमित युद्ध लड़ा जा रहा था. तब जैसलमेर की सीमा पर भी हजारों सैनिक तैनात किए गए. जैसलमेर के लोगों ने उस समय भी सेना की हौसला अफजाई करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इसके अलावा जैसलमेर की धरती पर ही भारत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बना. 1974 और 1998 में भारत ने पोकरण क्षेत्र में परमाणु परीक्षण कर दुनिया को चौंकाया.
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कला-संस्कृति में सिरमौरः मरु संस्कृति के चलते जैसलमेर देश और दुनिया में अलहदा पहचान रखता है. जैसलमेर के शासकों और धर्मनिष्ठ धन्ना सेठों ने नायाब सोनार दुर्ग, गड़ीसर सरोवर, कलात्मक हवेलियों और वास्तुशिल्प के अनूठे नमूनों के तौर पर मंदिरों आदि का निर्माण कराया. इनकी चमक समय के साथ बढ़ती गई. आज देश व दुनिया भर से सैलानी और कलाप्रेमी लाखों की तादाद में प्रत्येक साल जैसलमेर पहुंचकर इन धरोहरों का दीदार करते हैं. वक्त के थपेड़ों ने जहां अधिकांश स्थानों से प्राचीन संस्कृति और सभ्यता की चमक को फीका किया है, वहीं, जैसलमेर की सभ्यता और संस्कृति आज तक जीवंत बनी हुई है.
जैसलमेर एक नजर में
- क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य का सबसे बड़ा जिला है जैसलमेर (smallest district of rajasthan).
- 38,401 वर्ग किलोमीर में यह जिला फैला है. यह देश का तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्रफल वाला जिला (area of jaisalmer) है.
- आबादी के लिहाज से जैसलमेर राजस्थान का सबसे छोटा जिला है. यहां की आबादी (Jaisalmer population) 2021 में अनुमानित 7,76, 972 है.
- जैसलमेर की आबादी (Jaisalmer population) में 54 प्रतिशत पुरुष व 46 प्रतिशत महिलाएं हैं.
- लिंगानुपात में यह धौलपुर के बाद दूसरा सबसे विषम जिला है. यहां प्रति हजार पुरुषों पर 852 महिलाएं हैं.
- मार्च 1949 में जैसलमेर वृहद राजस्थान में शामिल हुआ. 6 अक्टूबर 1949 को इसे पृथक जिले का दर्जा दिया गया.