जयपुर.करीब 7 महीने बाद शुक्रवार को होने वाली जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक जिला कलेक्टर और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के नहीं आने के कारण स्थगित कर दी गई. बैठक में कोरम पूरा होने के बाद भी जिला परिषद सदस्य बैठक शुरू होने का इंतजार करते रहे. बैठक स्थगित होने के बाद जिला परिषद सदस्यों ने जिला परिषद सभागार के दोनों दरवाजे बंद कर दिए और अधिकारियों को 1 घंटे तक बाहर नहीं निकलने दिया.
जिला परिषद के सभागार में आज साधारण सभा की बैठक होने वाली थी. बैठक में सुबह जब जिला प्रमुख रमा देवी चौपड़ा पहुंची तो उन्हें जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित और जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी धिकारी जसमीत संधू नजर नहीं आए. कुछ समय तक जिला प्रमुख रमादेवी चौपड़ा और जिला परिषद के सदस्यों ने दोनों अधिकारियों का इंतजार भी किया लेकिन उनके नहीं आने पर वह काफी नाराज हो गई.
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उन्होंने साधारण सभा की बैठक स्थगित करने की घोषणा कर दी और फिर अपने केबिन में चली गईं. मुख्य कार्यकारी अधिकारी के नहीं पहुंचने से जिला परिषद के सदस्य भी नाराज हो गए और उन्होंने सीईओ के खिलाफ सभागार में नारेबाजी शुरू कर दी. नाराज जिला परिषद सदस्यों ने सभागार के दोनों दरवाजे भी बंद कर दिए और अलग अलग विभागों के जो अधिकारी बैठक में आए थे उन्हें बाहर नहीं जाने दिया. अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुमन चौधरी बैठक में मौजूद थी और जब उन्होंने कहा कि वह मुख्य कार्यकारी अधिकारी को लेने जा रही हैं तो जिला परिषद सदस्यों ने उन्हें भी बाहर जाने से रोक दिया. उन्होंने कहा कि सीईओ खुद भी बैठक में आ सकते हैं. हंगामे के एक घंटे बाद जब सीईओ जसमीत संधू पहुंचे तब अधिकारी बाहर निकल पाए.
मुख्य कार्यकारी अधिकारी जसमीत संधू बैठक में पहुंचे तो जिला परिषद के सदस्यों ने उनके खिलाफ नारेबाजी की और लेट आने पर नाराजगी भी जताई. सदस्यों ने कहा कि पिछले 8 महीने से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य नहीं हो रहे हैं. जसमीत संधू जिला प्रमुख रमादेवी चौपड़ा के पास गए और उन्हें बैठक शुरू करने की लिए भी कहा कि लेकिन रमादेवी चोपड़ा ने साफ इनकार कर दिया. कलेक्टर के प्रतिनिधि के रूप में अतिरिक्त जिला कलेक्टर तृतीय अशोक कुमार भी मीटिंग स्थगित होने के बाद पहुंचे थे.
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जिला प्रमुख और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के बीच दिखा टकराव
जिला प्रमुख रमादेवी चौपड़ा और मुख्य कार्यकारी अधिकारी जसमीत संधू के बीच टकराव भी साफ तौर पर देखने को मिला. संधू ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि वह किसी पेशी पर गए हुए थे और मीटिंग में लेट आने की सूचना पहले ही जिला प्रमुख को दे दी गई थी. जबकि जिला प्रमुख रमादेवी चौपड़ा ने कहा कि उनके पास इस तरह का कोई संदेश नहीं आया. इससे पहले भी जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक कराने के लिए उन्हें लिखा गया था, उस पर भी उन्होंने ध्यान नहीं दिया. जिला प्रमुख ने आरोप लगाया कि जिला परिषद में बोर्ड भाजपा का होने के कारण जिला परिषद के सदस्यों को परेशान किया जा रहा है और सरकार के दबाव में ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य नहीं कराए जा रहे.
बैठक स्थगित करने के बाद जिला प्रमुख रमादेवी चौपड़ा ने कहा कि जनप्रतिनिधि मुख्य कार्यकारी अधिकारी और जिला कलेक्टर का इंतजार करते रहे. जिला परिषद के सदस्य 100 से 120 किलोमीटर दूर से बैठक में भाग लेने के लिए आते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार नहीं चाहती कि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास हो. उन्होंने कहा कि पानी, बिजली, सड़क और पट्टों को लेकर के यहां अहम मुद्दों पर चर्चा होने वाली थी. हम चाहते थे की विधानसभा से पहले विकास कार्यों पर चर्चा हो जाए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास कार्य पूरे हो सकें. जब मुख्य कार्यकारी अधिकारी ही नहीं पहुंचे तो कोरम कैसे पूरा होगा. जब जनप्रतिनिधि समय पर पहुंच सकते हैं तो प्रशासनिक अधिकारी समय पर क्यों नहीं पहुंच सकते?.
पिछली बार भी मुख्य कार्यकारी नहीं थे मौजूद
जिला परिषद सदस्य रामकेश मीणा ने कहा कि पिछली बार जब साधारण सभा की बैठक हुई थी तब भी मुख्य कार्यकारी अधिकारी उपस्थित नहीं थे. हम लोग ढाणी ढाणी और गांव गांव जाकर आम जनता की समस्या लेकर यहां आते हैं फिर भी उन समस्याओं को सुनने वाला यहां कोई मौजूद नहीं होता तो ऐसी मीटिंग का कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने नाराजगी जताई कि जिला परिषद सदस्य को न तो कोई वेतन दिया जा रहा है और न ही कोई भत्ता मिल पा रहा है. इस संबंध में जिला परिषद के सदस्यों ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी जसमीत संधू को ज्ञापन भी सौंपा.
मीडिया से बात करते हुए मुख्य कार्यकारी अधिकारी जसमीत संधू ने कहा कि मैं लोकायुक्त के पास किसी पेशी पर गया हुआ था, इसलिए समय पर नहीं पहुंच पाया. मीटिंग में जिला कलेक्टर के प्रतिनिधि और अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मौजूद थी. बैठक को समय पर शुरू किया जा सकता था. जिला परिषद सदस्यों के विकास कार्य नहीं होने के आरोप पर जसमीत संधू ने कहा कि यह बिल्कुल गलत है जैसे जैसे सदस्यों के प्रस्ताव आते हैं उन्हें वार्षिक योजना में जोड़कर उनके काम कराए जा रहे हैं. स्वीकृति में जरूर थोड़ा बहुत समय लग जाता है.