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World Obesity Day 2023: कोरोना के बाद जीवनशैली में बदलाव से बढ़ी मोटापे की समस्या, बच्चों की सेहत के प्रति हो जाएं सावधान

आज 4 मार्च है, इसे मोटापा जागरुकता दिवस के रूप में मनाया जाता है. ईटीवी भारत ने डाइटिशियन डॉक्टर मेधावी गौतम से खास बातचीत करते हुए मोटापे की वजह और इसके निदान को लेकर (be careful for children health) चर्चा की.

Obesity problem increased after Corona
Obesity problem increased after Corona

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Published : Mar 3, 2023, 11:34 PM IST

Updated : Mar 4, 2023, 7:28 AM IST

डाइटिशियन डॉक्टर मेधावी गौतम

जयपुर.4 मार्च को वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन के आह्वान पर मोटापा जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है. साल 2015 से दुनिया भर में मोटापा और इससे होने वाली अन्य बीमारियों के प्रति लोगों को सचेत करने के मकसद से 4 मार्च के दिन जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. ईटीवी भारत ने इस मौके पर डाइटिशियन डॉक्टर मेधावी गौतम से बातचीत की और समझा कि आज किन विषयों पर लोगों को मोटापे के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है. इस विशेष बातचीत के दौरान यह सामने आया कि भारत में बच्चों में इन दिनों मोटापा ज्यादा बढ़ रहा है, और इस सिलसिले में माता पिता को अत्यधिक जागरूक होने की भी आवश्यकता है.

चीन के बाद भारत के बच्चों में अत्यधिक मोटापा - मोटापे को लेकर जागरूकता पर चर्चा के बीच डॉ मेधावी गौतम ने ईटीवी भारत को बताया कि चाइना के बाद भारत के बच्चों में दुनिया भर में सबसे ज्यादा मोटापे की समस्या आ रही है. खास तौर पर कोरोना के बाद जीवनशैली में आए बदलाव ने इस बीमारी को और बढ़ा दिया है. बच्चे अब मोबाइल पर ध्यान देकर खाना खाते हैं, जिसकी वजह से उन्हें अपनी भूख का अंदाजा नहीं रहता है और वे रोजमर्रा की डाइट में अत्यधिक कैलोरी का सेवन कर लेते हैं. यही कैलोरी आगे जाकर फेट के रूप में शरीर में जमा होकर मोटापे को बढ़ा देती है.

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उन्होंने बताया कि इंटरनेट सिंड्रोम के कारण अक्सर ऐसा होता है, वहीं स्क्रीन देखते हुए खाना खाने को काउच पटेटो सिंड्रोम कहते हैं. साथ ही इंडोर गेम्स को भी उन्होंने बच्चों में ओबेसिटी का बड़ा कारण माना. उन्होंने बताया कि स्कूलों में एजुकेशन के बदले पैटर्न ने भी बच्चों की सेहत में बदलाव को नकारात्मक बना दिया है. आज जिस तरह से शिक्षा पुस्तकों पर आधारित हो गई है, उसके बाद स्कूलों में खेल से जुड़ी गतिविधियां सीमित हो गई हैं.

ऐसे में बच्चों की शारीरिक गतिविधियां नहीं होने के कारण भी मोटापे में वृद्धि हो रही है. इसके अलावा परिजनों का बच्चों की सेहत के प्रति लापरवाह होना भी इस विषय में एक बड़ा कारण है. डॉ गौतम के मुताबिक फास्ट फूड कल्चर से परिजन ही अपने बच्चों को बचा सकते हैं. उन्हें जिम्मेदार रहकर रोजाना खाने में परोसी जाने वाली कैलरीज के प्रति सचेत भी रहना होगा.

मोटापे को लोग नहीं मानते हैं बीमारी -मेधावी गौतम ने बताया कि अक्सर भारत के लोग मोटापे को सीधे तौर पर बीमारी के रूप में नहीं देखते हैं, बल्कि इससे होने वाली बीमारियों से ग्रसित होने के बाद उन्हें मोटापे की चिंता सताती है. ऐसे में भारतीय लोगों में डायबिटीज, इनफर्टिलिटी, तो महिलाओं में पीरियड साइकिल में परिवर्तन और पीसीओडी जैसी समस्याएं भी होती हैं. वहीं टाइप टू डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हाई कोलेस्ट्रॉल और फैटी लीवर जैसे रोग भी इसी मोटापे की देन है. ऐसे में मोटापे और इससे होने वाली बीमारियों से बचने के लिए लोगों को अपनी लाइफ स्टाइल में तत्काल में बदलाव लाना चाहिए. अपने स्लीपिंग पैटर्न को चेंज करना चाहिए, ज्यादा तनाव से बचना चाहिए और नियमित व्यायाम करना चाहिए.

Last Updated : Mar 4, 2023, 7:28 AM IST

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