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World Music Day 2023 Special : संगीत एक संस्कृति, एक यूनिवर्सल लैंग्वेज, एक थेरेपी और रोजगार का साधन भी

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Published : Jun 21, 2023, 8:26 AM IST

Updated : Jun 21, 2023, 9:55 AM IST

कहने को तो साल 1982 में पहली बार फ्रांस में विश्व संगीत दिवस मनाया गया था. लेकिन भारत में संगीत व्यक्ति के जीवन से जुड़ा है. भगवान की पूजा की आरती हो या बच्चे को सुलाने वाली लोरी, सभी में संगीत है.

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विश्व संगीत दिवस 2023 पर संगीत गुरु डॉ मधु भट्ट तैलंग के साथ बातचीत

जयपुर.खुशी के पल हो या परेशानी का समय, दोस्तों के साथ हो या फिर अकेले. जश्न मनाने से लेकर तनाव मुक्ति का संगीत सबसे बड़ा साधन है. ये न सिर्फ हमारे मूड को अच्छा करता है, बल्कि एक थेरेपी के रूप में भी संगीत कारगर साबित हुआ है. ये संगीत सिर्फ तराना छेड़ने या वाद्य यंत्र बजाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये एक यूनिवर्सल लैंग्वेज है. और एक बड़े वर्ग के लिए रोजगार का साधन भी है. भारत में तो संगीत को संस्कृति का अभिन्न अंग कहना गलत नहीं होगा.

कहने को तो विश्व संगीत दिवस 1982 में पहली बार फ्रांस में सेलिब्रेट किया गया था. लेकिन भारत में संगीत व्यक्ति के जीवन से जुड़ा हुआ है. भगवान की पूजन की आरती हो या बच्चे को सुलाने वाली लोरी, सभी में संगीत है. और तो और आज दौड़ती-भागती जिंदगी में संगीत तनाव मुक्ति का साधन गया है और बात करें भारतीय संगीत की तो ये संस्कृति से जुड़ा हुआ है और इसी संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम कर रही हैं. संगीत गुरु मधु भट्ट तैलंग. ईटीवी भारत से खास बातचीत में तैलंग ने बताया कि संगीत एक यूनिवर्सल लैंग्वेज है, जो लोग एक दूसरे की भाषा नहीं समझते वो भी किसी भी तरह के मधुर संगीत की तरफ आकर्षित हो जाते है, उसका आनंद लेते हैं. एक दूसरे की भावनाओं को जानने के लिए संगीत की स्वर लहरी ही पर्याप्त होती है. यही वजह है कि आज संगीत के स्तर पर पूरा विश्व एक हो गया है. भारतीय संगीतकार विश्व के दूसरे देशों में भी प्रचार-प्रसार के लिए जा रहे हैं और दूसरे देशों के लोग यहां संगीत सीखने भी आ रहे हैं.

मधु भट्ट तैलंग ने कहा कि संगीत अपने आप में एक थेरेपी है. आज लोग यदि किसी तरह के डिप्रेशन या स्ट्रेस में है, तो 2 मिनट अच्छा संगीत सुनकर तनाव मुक्त हो जाते हैं. वर्तमान समय में संगीत किसी मेडिसिन से कम नहीं. यही नहीं उन्होंने कहा कि संगीत संस्कृति का बड़ा अंग है. संस्कृति का मतलब संस्कारों से होता है. इसलिए जो संगीत है वो व्यक्ति को अनुशासन सिखाता है, जीने का तरीका भी सिखाता है, बड़ों का सम्मान सिखाता है और लोगों को आपस में जोड़ने का काम करता है. इसलिए जहां वास्तव में लोगों के मन में संगीत है, वो स्वतः एक अच्छा इंसान भी बन जाता है.

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उन्होंने ये स्पष्ट किया कि शोर संगीत नहीं है, और जो पुराना वैदिक कल्चर है, हमारे संतों और साधकों ने जो भी साधना की है पुराने वाद्य यंत्रों के साथ की गई है. जो आज लुप्त हो रहे हैं. जबकि उन्हीं वाद्य यंत्रों में योग का अंश जुड़ा हुआ है. देवी-देवताओं की उपासना जुड़ी हुई है, जो हमारी संस्कृति का बहुत बड़ा अंग है. उदाहरण के लिए राग भैरव भगवान शिव के लिए बनी है. जो भी राग हैं वो भगवान की स्तुति के लिए ही है. हालांकि अब देश दोबारा आध्यात्मिकता की ओर लौट रहा है. विश्व भी आज भारतीय संगीत की तरफ इसी वजह से आ रहा है क्योंकि वो भी पाश्चात्य संस्कृति से आगे बढ़कर आध्यात्मिकता की तरफ उन्मुख है.

उन्होंने कहा कि भारतीय साहित्य संगीत के साथ जो युवा जुड़ रहे हैं, उनका भविष्य उज्ज्वल है. इसमें कई रास्ते खुले हैं, जिससे युवाओं को रोजगार मिल रहा है. युवा एल्बम बना रहे हैं और उन्हें प्रसारित करने के लिए कई माध्यम सामने हैं. इससे उनकी प्रतिभा में निखार हो रहा है, और वो अच्छे वादक, अच्छे गायक और संगीतकार के साथ-साथ साउंड इंजीनियर तक बन रहे हैं. संगीत ही उन्हें प्रमोट कर रहा है, ख्याति बढ़ा रहा है और आगे बढ़ाने का काम कर रहा है.

वहीं सीनियर डॉ अशोक गुप्ता ने बताया कि म्यूजिक थेरेपी लंबे समय से चल रही है, इसके वैज्ञानिक तथ्य भी है. और ये अलग-अलग तरीके से दी जा सकती है. वाद्ययंत्र बजाना, गाना गाना, गाना सुनना ये सभी म्यूजिक थेरेपी के हिस्से हैं. यदि आप परेशान हैं, मूड खराब है, तनाव की स्थिति है, उस दौरान यदि कम इंटेंसिटी म्यूजिक सुने तो इससे तनाव कम होगा. मूड सही होने लगेगा, यही नहीं इससे लैंग्वेज डेवलपमेंट में भी मदद मिलती है. म्यूजिक थेरेपी से लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर को बेहतर बनाया जा सकता है.

उन्होंने म्यूजिक थेरेपी से जुड़ा अपना एक्सपीरियंस शेयर करते हुए कहा कि करीब 4 साल पहले उनके पास एक बच्चा इलाज के लिए आया था, जो करीब 4 सप्ताह से बेहोश था और एक स्थिति आ गई थी, जहां उसके परिजनों ने भी सुधार की आशा छोड़ दी थी. उस वक्त उस बच्चे को म्यूजिक थेरेपी दी गई. चूंकि म्यूजिक थेरेपी से जुड़े कुछ केस साइंटिफिक लिटरेचर में पढ़े थे, जिसमें म्यूजिक थेरेपी ब्रेन डेवलपमेंट के लिए काम में ली गई थी. इसलिए इसे एक कोशिश के रूप में किया गया. इस थेरेपी में मां की आवाज को लोरी गाते हुए रिकॉर्ड किया गया, और इस रिकॉर्डिंग को बच्चे के कान में सुनाया गया. ये प्रयोग सफल भी रहा. आश्चर्य की बात ये थी कि जो स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट बच्चे को पहले दिया जा रहा था, उसी के जरिए बच्चे के शरीर में हरकत आने लगी और 2 दिन में होश भी आ गया. ये अनूठा एक्सपीरियंस था और ये मिरिकल म्यूजिक थेरेपी की वजह से हुआ. हालांकि इसमें अभी काफी रिसर्च की गुंजाइश है.

Last Updated : Jun 21, 2023, 9:55 AM IST

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