विश्व बौद्धिक संपदा दिवस पर विशेष.. जयपुर.विश्वभर में 26 अप्रैल को हर साल विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बौद्धिक संपदा के महत्व और उद्देश्यों को लेकर चर्चा होती है. ये दिवस नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देने के साथ अपनी बौद्धिक संपदा अधिकारों को संरक्षित करने के बारे में लोगों को जागरूक करता है. विश्व बौद्धिक संपदा दिवस 2023 की थीम रखी गई है - रचनात्मकता और नवाचार का जश्न मनाना. लेखक शिवानी कहती हैं कि इस सोशल मीडिया के दौर में हर कोई दूसरों की रचनात्मकता को अपना बता कर पेश कर रहा है. इसलिए हर व्यक्ति को अपनी बौद्धिक संपदा के लिए जागरूक होना होगा.
बौद्धिक संपदा क्या है? :शिवानी बताती हैं कि बौद्धिक संपदा दिमाग की रचनाओं से संबंधित है, जैसे आविष्कार, साहित्यिक और कलात्मक कार्य, डिजाइन और व्यापार में उपयोग किए जाने वाले प्रतीक, नाम और चित्र आदि. ऐसे रचनात्मक काम जो पहले नहीं किया गया हो, ये हमारी बौद्धिक संपदा है और यही हमारी प्रॉपर्टी है. इस रचनात्मक प्रोपर्टी का कोई दूसरा उपयोग नहीं कर सकता. इसके लिए हमें अपनी बौद्धिक संपदा को सुरक्षित करवाना चाहिए.
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बौद्धिक संपदा को ऐसे संरक्षित कर सकते हैं :शिवानी कहती हैं कि प्रत्येक व्यक्ति में कुछ अलग और रचनात्मक काम करने की क्षमता होती है. हम अपनी बौद्धिक संपदा को पांच तरीके से संरक्षित कर सकते हैं. इसमें पहला है कॉपीराइट, दूसरा पेटेंट, तीसरा ट्रेडमार्क, चौथा है औद्योगिक डिजाइन और पांचवा है भौगोलिक संकेतक. शिवानी बताती हैं कि अगर आप कुछ लिखते हैं, जिस पर आपका मौलिक है तो आप कॉपीराइट करा सकते हैं. इसके बाद व्यापार के क्षेत्र में होता है ट्रेडमार्क, जो आपका सिंबल होता है. किसी संस्था, कंपनी की पहचान के लिए होता है, उसे अगर ट्रेडमार्क करवा लेते हैं तो कोई दूसरा उस सिंबल का उयोग नहीं कर सकेगा. अगर आपने कोई आविष्कार किया है तो उसे पेटेंट करा कर सुरक्षित रख सकते हैं. इसके बाद आता है औद्योगिक डिजाइन और भौगोलिक संकेतक.
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सोशल मीडिया पर झूठ :शिवानी ने कहा कि मौजूदा दौर में सबसे बड़ी चुनौती सोशल मीडिया है. यहां पर दूसरे के किए काम को अपना बताकर शेयर किया जा रहा है. इसलिए जरूरी है कि आप अपने कार्य को या बौद्धिक संपदा को सुरक्षित कराएं. बौद्धिक संपदा दिवस हमें इन चजों के लिए जागरूक करता है. इस मौके पर एक या दो नहीं, बल्कि राजस्थान के हजारों लोगों को जागरूक करना होगा. इसको सूचित करने के लिए साल 2000 से हम 26 अप्रैल को बौद्धिक संपदा दिवस मना रहे हैं.
विश्व बौद्धिक संपदा दिवस का इतिहास :शिवानी कहती हैं कि विश्व बौद्धिक संपदा संगठन, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की 15 विशेष एजेंसियों में से एक है. हमारा देश भारत भी विश्व बौद्धिक संपदा संगठन का सदस्य है. इस संगठन की स्थापना 14 जुलाई 1967 को हुई थी, जिसका हेडक्वार्टर जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है. हर साल 26 अप्रैल को ये दिवस मनाया जाता है. शिवानी कहती हैं कि इस दिन की सार्थकता तब होगी जब हम अपने आविष्कार या नई बौद्धिक संपदा को सुरक्षित रख पाते हैं.