जयपुर. राजस्थान में राज्य महिला आयोग और सामाजिक महिला संगठन आमने-सामने हो गए हैं. महिला आयोग ने फरमान जारी करते हुए झूठा मुकदमा दर्ज कराने वाली महिलाओं के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की, तो महिला सामाजिक संगठन सड़कों पर उतर आईं. संगठनों ने इस आदेश को काला आदेश बताते हुए आयोग के दफ्तर में विरोध प्रदर्शन (women social organizations protest against RSCW) किया. महिला संगठनों ने अध्यक्ष से इस आदेश को वापस लेने के साथ ही यथास्थिति की मांग की, जबकि महिला आयोग अध्यक्ष ने साफ कर दिया कि वे सच बोलने से नहीं डरती.
रेहाना रियाज का घेराव: संगठनों ने महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज के बयान के बाद न केवल कड़ी आपत्ति दर्ज कराई बल्कि आदेश को वापस लेने और पद से इस्तीफा देने की मांग को अध्यक्ष का घेराव किया. महिला संगठनों ने इस आदेश को महिलाओं के लिए काला आदेश करार दिया. उन्होंने महिला आयोग अध्यक्ष से तत्काल प्रभाव से अपने आदेश को वापस लेने और प्रदेश की महिलाओं से माफी मांगने की मांग की.
राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लाड कुमारी जैन ने कहा कि आयोग का काम महिलाओं को न्याय दिलाना है. महिलाओं के अधिकार कैसे संरक्षित रहें, इस पर काम करना है, ना कि इन महिलाओं ने झूठे मामले दर्ज कराए और उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करे. जैन ने कहा कि कई बार पुलिस की ओर से मामले में लगाई जाने वाली एफआर भी गलत निकलती है. ऐसे में आयोग कैसे तय करेगा कि किस महिला ने झूठा मामला दर्ज कराया है. इसके लिए आईपीसी की धाराओं में प्रावधान है और अगर किसी भी पीड़ित को लगता है कि उसके खिलाफ झूठा मामला दर्ज करवाया गया है, तो वह न्यायालय में गुहार लगा सकता है.
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तुरंत इस्तीफा दिया जाए: विरोध प्रदर्शन में पूर्व राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष लाड कुमारी जैन, सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू, कविता श्रीवास्तव, अनीता माथुर, सुमन देवटिया, सुमित्रा चोपड़ा, ममता जेटली, कोमल श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में शामिल महिला संगठनों ने मांग करते हुए कहा कि आयोग की यह fake cases in harassment की श्रेणी वापस लें. जिन 60 मामलों में पुलिस में fir दर्ज करने को कहा है, इस निर्णय को खारिज करें. महिलाओं का अगर इस्तेमाल हो रहा है, उनको काउन्सल करें और सशक्त करें.
ये दिया ज्ञापन:महिला संगठनों ने साझा ज्ञापन राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष को दिया. उन्होंने कहा कि हम सभी इस महिला विरोधी रुख व कार्रवाई से क्षुब्ध हैं. महिलाओं की ओर से झूठे मामलों में उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 182 और 211 में कार्रवाई की जाएगी. इसमें आपने 60 मामलों में कार्रवाई के निर्देश भी दे दिए गए हैं. 3618 मामलों में से 418 में आपने तय कर लिया कि ये झूठे हैं. उसमें से 60 में पुलिस को निर्देश भी दे दिए कि केस दर्ज किया जाए. ऐसा महिला विरोधी कृत्य, देश के किसी भी आयोग ने कभी नहीं किया. इसकी भर्त्सना करते हैं और वापस लेने की मांग करते हैं.