जयपुर. केंद्र की मोदी सरकार की ओर से लोकसभा में पेश 33 फीसदी महिला आरक्षण विधेयक पारित हो गया है. भले ही इसे लागू होने में अभी समय लगे और परिसीमन के बाद राजस्थान में साल 2028 के विधानसभा व 2029 के लोकसभा चुनाव 33% महिला आरक्षण के साथ हों, लेकिन एक बात साफ है कि आधी आबादी को उनका राजनीतिक अधिकार देने के लिए देश में बड़ा कदम उठाया गया है. ऐसे में अब आने वाले समय में आधी आबादी के हक की बात करने के लिए लोकसभा व विधानसभाओं में कम से कम 33% महिला जनप्रतिनिधि मौजूद होंगी.
महिलाओं को सियासी आरक्षण की आवश्यकता क्यों पड़ी ? इस सवाल का जवाब राजस्थान में आज तक हुए लोकसभा व विधानसभा चुनावों के आंकड़ों को देखने मात्र से मिल जाएगा. लोकसभा चुनावों में कांग्रेस, भाजपा ही नहीं बल्कि सभी पार्टियों के साथ ही निर्दलीयों को भी जोड़ दिया जाए तो 17 लोकसभा चुनावों में महज 10% ही महिला जनप्रतिनिधियों की भागीदारी सामने आती है. वहीं, अगर बात विधानसभा चुनाव की करें तो इसमें चुनाव लड़ने वाली महिला प्रत्याशियों की संख्या अब तक 9% है. इससे साफ पता चलता है कि किस तरह से लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पुरुष वर्ग प्रभावी रहा है. ऐसे में अगर महिलाओं के लिए आरक्षण के जरिए सीट फिक्स नहीं की गई तो आने वाले कई दशकों तक महिलाएं विधानसभा और लोकसभा में 33% के आंकड़े तक नहीं पहुंच सकेंगी.
इसे भी पढ़ें - महिला आरक्षण विधेयक को उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बताया ऐतिहासिक, पीएम मोदी की तारीफ में कही ये बातें
2018 में घट गई संख्या - राजस्थान विधानसभा चुनाव की बात करें तो साल 1952 से अब तक 15 विधानसभा चुनाव हुए हैं. यहां हर विधानसभा चुनाव में महिलाओं की भागीदारी रही है, लेकिन यह भागीदारी चुनाव लड़ने में 1952 में 1% से बढ़कर 70 साल में मुश्किल से 8.23% पहुंची है. वहीं, पहली बार 1957 के दूसरे विधानसभा चुनाव में 9 महिलाएं चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची थी तो 2018 के 15वें विधानसभा चुनाव में 24 महिलाएं विधायक बनी. साल 2008 और 2013 में विधानसभा में पहुंचने वाली महिला विधायकों की संख्या सर्वाधिक 28 रही थी, जो बढ़ने की जगह 2018 में घटकर 24 रह गई.
1952 से अब तक 25% बढ़ी विधायकों की संख्या -भले ही राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की कमान दो बार वसुंधरा राजे के पास रही हो, लेकिन महिला मुख्यमंत्री भी राजस्थान में विधानसभा चुनाव में महिलाओं की भूमिका को 5% से बढ़ाकर 8% ही पहुंचा सकी. हालांकि, 1952 में जो विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 160 थी वो आगे चलकर 1957 में 176 और 1967 में 184 और 1977 में 200 हो गई थी. 1952 से 2018 तक राजस्थान विधानसभा में विधायकों की संख्या में करीब 25% की बढ़ोतरी हुई, लेकिन उस अनुपात में भी महिला विधायकों की संख्या में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हो पाई. मतलब साफ है कि अगर महिलाओं को आरक्षण नहीं मिला तो अब भी 33% तो दूर महिलाओं को चुनाव लड़ने की भागीदारी में भी 20% तक पहुंचने में भी काफी समय लग जाएगा.
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व पूर्व महारानी गायत्री देवी. राजस्थान विधानसभा चुनाव व आंकड़ों की हकीकत
- राजस्थान में पहला विधानसभा चुनाव साल 1952 में हुआ. इस चुनाव में केवल चार महिला प्रत्याशी चुनाव लड़ी थीं और सभी हार गई. वहीं 757 में से केवल चार महिला प्रत्याशी बनी, जो 1% से भी कम थी.
- 1957 में 21 महिलाओं ने विधानसभा चुनाव लड़ा. इनमें से 9 महिलाएं चुनकर पहली बार विधानसभा में पहुंची. 653 में से 21 महिला प्रत्याशी विधानसभा चुनाव में उतरी जो करीब 2.5% थी.
इसे भी पढ़ें - महिला आरक्षण को 2024 के चुनाव में लागू नहीं करना केंद्र सरकार की मंशा और नियत में फर्क : सचिन पायलट
- 1962 में 15 महिलाओं ने चुनाव लड़ा जिनमें से 8 चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचीं. 890 में से 15 महिला प्रत्याशी विधानसभा चुनाव में उतरी जो करीब 2.5% थी.
- 1967 में 19 महिलाओं ने चुनाव लड़ा, जिनमें से 6 विधायक बनीं. इस साल मैदान में 892 प्रत्याशी उतरे थे. इनमें महिलाओं की संख्या 19 थी, जो करीब 2.5% था.
- 1972 के विधानसभा चुनाव में 17 महिलाओं ने विधानसभा चुनाव लड़ा. इनमें से 13 विधायक बनीं. इस साल मैदान में कुल 875 प्रत्याशी थे, जिसमें महिलाओं की संख्या 17 थी, जो करीब 2% था.
- 1977 के विधानसभा चुनाव में 31 महिलाओं ने चुनाव लड़ा. उनमें से 8 महिलाएं विधायक बनीं. इस चुनाव में कुल 1146 प्रत्याशी मैदान में थे. इनमें महिलाओं की संख्या 31 थी, जो 2.6% थी.
- 1980 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में 31 महिलाओं ने भाग्य आजमाया ,इनमें से 10 ने चुनाव जीता और विधायक बनी.1980 में 1406 में से 31 महिलाएं विधायक प्रत्याशी थी जो लड़ने वाले प्रत्याशीयों का 2.2% था.
- 1985 के विधानसभा चुनाव में 45 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था. इनमें से 17 को जीत मिली थी. इस साल कुल 1485 प्रत्याशी मैदान में थे. इनमें महिलाओं की संख्या 45 थी, जो 3% था.
- 1990 में 93 महिलाओं ने विधानसभा चुनाव लड़ा था. इनमें से 11 चुनाव जीती थीं तो वहीं, इस साल मैदान में कुल 3088 प्रत्याशी थे. इसमें महिलाओं की संख्या 93 थी, जो करीब 3% था.
- 1993 में 97 महिलाओं ने चुनाव लड़ा. इसमें से 10 चुनाव जीतकर विधायक बनीं. इस साल कुल 2438 प्रत्याशी चुनाव में उतरे थे. इनमें से महिलाओं की संख्या 97 थी, जो करीब 4% था.
इसे भी पढ़ें - Women Reservation Bill : राजस्थान में बिल का स्वागत, महिलाएं बोलीं- यह सर्वांगीण विकास में मील का पत्थर साबित होगा
- 1998 में 69 महिलाओं ने विधानसभा का चुनाव लड़ा. इनमें से 14 विधायक बनीं. इस साल कुल 1439 प्रत्याशी मैदान में थे. इनमें 69 महिलाएं थी, जो करीब 5% था.
- 2003 में 118 महिलाओं ने चुनाव लड़ा. इसमें से 12 विधायक बनीं. इस साल कुल 1541 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे. इनमें से 118 महिलाएं थी, जो करीब 7.5% रहा.
- 2008 में 154 महिलाओं ने चुनाव लड़ा. इनमें से आज तक हुए विधानसभा चुनावों की सर्वाधिक 28 महिलाओं को जीत मिली थी. वहीं, 2194 प्रत्याशी मैदान में थे. इनमें से 154 महिलाएं थी, जो करीब 7% था.
- 2013 के चुनाव में 166 महिलाएं मैदान में थीं, जिसमें से 28 विधायक बनकर विधानसभा पहुंची. वहीं, इस साल मैदान में कुल 2096 प्रत्याशी थे. इनमें महिलाओं की संख्या 166 थी, जो करीब 8% रहा.
- 2018 में 189 महिलाओं ने चुनाव लड़ा. इनमें से 24 जीतकर विधायक बनीं. इस साल मैदान में कुल 2294 प्रत्याशी उतरे थे. इनमें 189 महिलाएं थीं, जो करीब 8.23% था.
महिला सांसद के लिए करना पड़ा था 10 साल इंतजार -देश में अब तक 17 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. 1957 से 1977 की बात करें तो इन चुनावों में एक भी महिला प्रत्याशी नहीं थी. वहीं, जयपुर से गायत्री देवी पहली सांसद बनीं, लेकिन इसके लिए 10 साल का वक्त लग गया. आज भी चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्या करीब 9% के आसपास है. ऐसे में अब महिलाओं की भागीदारी 33% सुनिश्चित करने के लिए देश की संसद में महिला आरक्षण बिल को पेश किया गया है. भले ही इसे लागू होने में अभी समय लगे और परिसीमन होने के बाद 2029 का लोकसभा चुनाव 33% महिला आरक्षण के साथ हो, लेकिन इसके लिए महिलाओं को लंबा संघर्ष करना पड़ा है.
1989 में राजे ने खोला भाजपा का खाता - बात अगर राजस्थान के लोकसभा चुनाव की करें तो भले ही 1952 के पहले लोकसभा चुनाव में 4 महिलाओं ने चुनाव लड़ा हो, लेकिन राजस्थान को पहली महिला सांसद मिलने में 10 साल का समय लग गया. 1962 के तीसरे लोकसभा चुनाव में जयपुर राजपरिवार की पूर्व राजमाता गायत्री देवी पहली सांसद बनीं.1967 में भी गयत्री देवी ही एक मात्र महिला सांसद बनी थीं और एक सांसद से दो सांसद तक पहुंचने में 1971 तक इंतजार करना पड़ा. 1952 और 1977 के लोकसभा चुनाव में तो राजस्थान से एक भी महिला ऐसी नहीं थी, जो लोकसभा चुनाव लड़ी हो. 1984 में चित्तौड़गढ़ से निर्मला कुमारी और उदयपुर से इंदुबाला सुखाड़िया कांग्रेस की पहली सांसद बनीं तो वहीं 1989 में वसुंधरा राजे ने भाजपा का खाता खोला.
इसे भी पढ़ें - Womens Reservation Bill: महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण वाला नारीशक्ति वंदन विधेयक लोकसभा में पेश, बुधवार को चर्चा
राजस्थान लोकसभा चुनाव व आंकड़ों की हकीकत
- 1952 में राजस्थान में 22 लोकसभा सीट थी. इनमें दो महिला शरदबाई और रानी देवी भार्गव चुनाव लड़ीं. दोनों चुनाव हार गईं. 1952 के लोकसभा चुनाव में 82 प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाया इनमें 2 महिलाएं थी जो 2.4 प्रतिशत था.
- 1957 में राजस्थान में 22 लोकसभा सीट थी. इस दौरान राजस्थान में एक भी महिला ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा.1957 के चुनाव में कुल 60 प्रत्याशी थे, सभी पुरुष थे.
- 1962 के लोकसभा चुनाव में 6 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था. जयपुर लोकसभा सीट से पूर्व राजमाता गायत्री देवी स्वतंत्रता पार्टी की टिकट पर राजस्थान की पहली सांसद बनी. 1962 के लोकसभा चुनावों में कुल 111 प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाया, उनमें से 6 महिलाएं थी.
- 1967 में राजस्थान में लोकसभा सीटों की संख्या 23 हुई. सुमित्रा सिंह और गायत्री देवी ने चुनाव लड़ा. गायत्री देवी स्वतंत्रता पार्टी से जयपुर से सांसद बनी. 1967 के लोकसभा चुनावों में 116 प्रत्याशी थे उनमें से 2 महिला प्रत्याशी थी, जो कि कुल 1.72 प्रतिशत था.
इसे भी पढ़ें - Prez Murmu On Women Reservation Bill: महिला आरक्षण पर मुर्मू बोलीं- लैंगिक न्याय के लिए हमारे दौर की सबसे परिवर्तनकारी क्रांति
- 1973 में राजस्थान की 23 लोकसभा सीट पर 4 महिलाओं ने चुनाव लड़ा. इनमें से जयपुर राज परिवार की पूर्व राजमाता गायत्री देवी जयपुर से स्वतंत्रता पार्टी से और जोधपुर राज परिवार की पूर्व राजमाता कृष्णा कुमारी जोधपुर से चुनाव जीती थी. 1973 के लोकसभा चुनावों में कुल 129 प्रत्याशी उतरे, उनमें से 4 महिला प्रत्याशी थी.
- 1977 के लोकसभा चुनाव में राजस्थान में 25 लोकसभा सीट हुई. 1977 में 102 प्रत्याशियों ने लोकसभा चुनाव लड़ा, इनमें से एक भी महिला प्रत्याशी नहीं थी.
- 1980 के लोकसभा चुनावों में पांच महिलाओं ने लोकसभा चुनाव लड़ा था. इनमें से चित्तौड़गढ़ से निर्मला कुमारी ने चुनाव जीता. 1980 के लोकसभा चुनावों में 252 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा, इनमें से 5 महिलाएं थी.
- 1984 के लोकसभा चुनाव में 6 महिलाओं ने चुनाव लड़ा ,इनमें से उदयपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस की इंदु बाला सुखाड़िया और चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट से कांग्रेस की निर्मला कुमारी सांसद बनी. 1984 में पहली बार कांग्रेस पार्टी से कोई सांसद बनी. 1984 के लोकसभा चुनाव में 313 प्रत्याशियों में से 6 महिलाएं थी.
- 1989 में 6 महिलाओं ने लोकसभा चुनाव लड़ा था. इसमें भाजपा की वसुंधरा राजे के रूप में झालावाड़ से एकमात्र महिला सांसद बनी. वसुंधरा राजे भाजपा से राजस्थान की पहली महिला सांसद बनी. 1989 में कुल 304 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा इनमें से 6 महिलाएं थी.
- 1991 के लोकसभा चुनाव में 14 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था. इनमें अलवर सीट से भाजपा की टिकट पर अलवर की पूर्व राजमाता महेंद्र कुमारी, भरतपुर सीट से भाजपा की कृष्णेंद्र कौर दीपा, झालावाड़ से भाजपा की वसुंधरा राजे, उदयपुर से कांग्रेस की गिरिजा व्यास चुनाव जीती. 1991 के लोकसभा चुनाव में कुल 526 प्रत्याशी लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे थे, इनमें से 14 महिलाएं थी.
- 1996 के लोकसभा चुनाव में 25 महिलाओं ने चुनाव लड़ा. इनमें से भरतपुर से भाजपा की दिव्या सिंह, कांग्रेस की सवाई माधोपुर से उषा देवी, झालावाड़ से भाजपा की वसुंधरा राजे, उदयपुर से कांग्रेस की गिरिजा व्यास ने चुनाव जीता. 1996 में 677 प्रत्याशियों ने लोकसभा चुनाव लड़ा, इनमें से 25 महिलाएं थी.
- 1998 के लोकसभा चुनाव में 20 महिलाओं ने चुनाव लड़ा. इनमें से कांग्रेस की उषा मीणा ने सवाई माधोपुर, अजमेर लोकसभा सीट से कांग्रेस की प्रभा ठाकुर ने, झालावाड़ लोकसभा सीट के भाजपा की वसुंधरा राजे ने चुनाव जीता. 1998 के लोकसभा चुनावों में कुल 219 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे, इनमें 20 महिलाए थी.
- 1999 के लोकसभा चुनाव में 15 महिलाएं चुनाव मैदान में उतरीं. इनमें सवाई माधोपुर लोक सभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर उषा मीणा, झालावाड़ से भाजपा की टिकट पर वसुंधरा राजे, उदयपुर से कांग्रेस की टिकट पर गिरिजा व्यास ने चुनाव जीता. 1999 के लोकसभा चुनावों में कुल 165 प्रत्याशियों ने लोकसभा चुनाव लड़ा, इनमें से 15 महिलाएं भी शामिल थी.
इसे भी पढ़ें - Womens Reservation Bill : सिर्फ 10 साल के लिए ही आरक्षण देना चाहती थी यूपीए सरकार : स्मृति ईरानी
- 2004 के लोकसभा चुनाव में 17 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था. इनमें से भाजपा की टिकट पर उदयपुर लोकसभा सीट से किरण माहेश्वरी और भाजपा की टिकट पर ही जालौर से सुशीला देवी ने चुनाव जीता. 2004 में कुल 185 प्रत्याशियों ने लोकसभा चुनाव लड़ा था, इनमें से 17 महिलाएं भी शामिल थी.
- 2009 के लोकसभा चुनाव में 31 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था. इनमें से नागौर से कांग्रेस की टिकट पर डॉक्टर ज्योति मिर्धा, जोधपुर से कांग्रेस की टिकट पर चंद्रेश कुमारी ,चित्तौड़गढ़ से कांग्रेस की टिकट पर गिरिजा व्यास ने चुनाव जीता. 2009 में 346 प्रत्याशी लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे, उनमें से 31 महिलाएं थी.
- 2014 के लोकसभा चुनाव में 27 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था. इनमें भाजपा की टिकट पर झुंझुनू लोकसभा सीट से संतोष अहलावत ने चुनाव जीता. 2014 में 320 प्रत्याशियों ने लोकसभा चुनाव लड़ा, उनमें उनमें 27 महिलाएं थी.
- 2019 के लोकसभा चुनाव में 23 महिलाओं ने चुनाव लड़ा. इनमें से भरतपुर से भाजपा की टिकट पर रंजीता कोली, दौसा से भाजपा की टिकट पर जसकौर मीणा और राजसमंद से भाजपा की टिकट पर दीया कुमारी ने चुनाव जीता. 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल 249 प्रत्याशियों ने अपना भाग्य आजमाया, इनमें 23 महिलाएं भी शामिल थी.