जयपुर.प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को मतदान संपन्न हो गया. मतदाताओं ने इस बार बढ़ चढ़कर लोकतंत्र के इस महापर्व में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कराई, जिसके कारण पिछले चुनावों की तुलना में अबकी अधिक मतदान संभव हो सका है. वहीं, अब भाजपा ऐतिहासिक बहुमत पाने का दावा कर रही है तो कांग्रेस भी अपनी गारंटियों पर भरोसा जताते हुए एक बार फिर से राज्य में सरकार रिपीट होने की बात कह रही है. हालांकि आगामी 3 दिसंबर को मतगणना के साथ ही सभी के दावों से पर्दा उठ जाएगा और साफ हो जाएगा कि राज्य में अगली सरकार किसकी बनेगी, लेकिन इस बीच अब सीएम फेस को लेकर दुकानों, थड़ी और जमघटों पर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है.
एक ओर कांग्रेस से तीन चेहरे चर्चा के केंद्र में हैं तो वहीं, दूसरी ओर भाजपा में चेहरों की भरमार नजर आ रही है. सबसे खास बात यह है कि इस बार के चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों ने सीएम फेस घोषित नहीं किए हैं. यही वजह है कि सीएम फेस को लेकर चर्चाएं हो रही हैं. हालांकि, भाजपा की ओर से बार-बार पार्टी संसदीय बोर्ड का हवाला दिया जाता रहा है और कहा जाता रहा है कि पार्लियामेंट्री बोर्ड चुनाव परिणाम के बाद विधायकों से चर्चा कर मुख्यमंत्री तय करेगा. वहीं, अगर भाजपा को बहुमत मिला तो पार्टी में एक दर्जन ऐसे नेता हैं, जो इस दौड़ में शामिल बताए जा रहे हैं.
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मतदान प्रतिशत बढ़ने से भाजपा उत्साहित :मतदान प्रतिशत बढ़ने से भाजपा में उत्साह दिख रहा है. साथ ही पार्टी की ओर से ऐतिहासिक बहुमत हासिल होने का दावा भी किया जा रहा है, लेकिन पार्टी ने अभी तक सीएम फेस घोषित नहीं किया है. ऐसे में इसे लेकर कश्मकश की स्थिति बनी हुई है. हालांकि, पार्टी नेतृत्व बार-बार पार्लियामेंट्री बोर्ड के अंतिम निर्णय की बात करता रहा है, लेकिन अगर भाजपा को बहुमत मिला तो पार्टी में सीएम पद के एक दर्जन दावेदार दिख रहे हैं. इसमें पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, सांसद दीया कुमारी, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, भाजपा के वरिष्ठ नेता ओम माथुर से लेकर अश्विनी वैष्णव तक के नाम चर्चा के केंद्र में है. वहीं, कुछ लोग प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को डार्क हॉर्स मान रहे हैं.
राजे सबसे आगे :भाजपा में सीएम पद के दावेदारों की बात करें तो सबसे पहला नाम पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का है, क्योंकि वो दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. साथ ही वर्तमान में भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं. इसके अलावा उनका प्रदेश की सियासत व खास कर पार्टी नेताओं व कुशल प्रबंधन पर अच्छा कमांड है. हालांकि पार्टी ने इस बार उन्हें सीएम फेस नहीं बनाया, लेकिन सियासी पंडितों की मानें तो पार्टी शीर्ष नेतृत्व को वसुंधरा राजे को आगे करना ही होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि छह माह बाद लोकसभा चुनाव होना है. ऐसे में अगर राजे को पार्टी नजरअंदाज करती है तो उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.
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ओम बिड़ला :दूसरे बड़े दावेदार के रूप में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को देखा जा रहा है. कोटा दक्षिण से तीन बार विधायक और दो बार कोटा-बूंदी लोकसभा से सांसद और मौजूदा समय में लोकसभा अध्यक्ष हैं. साथ ही बिरला वैश्य समाज से आते हैं और इस वर्ग में उनकी अच्छी पड़ है. अपने कुशल प्रबंधन के चलते ही वो पीएम मोदी के करीबी व विश्वास पात्र बने हुए हैं.
दीया कुमारी :जयपुर पूर्व राजपरिवार से आने वाली दीया कुमारी को भी सीएम की रेस में आगे माना जा रहा है. एक बार विधायक और एक बार सांसद रही दीया कुमारी को पार्टी ने प्रदेश की सबसे सुरक्षित सीट विद्याधर नगर से मैदान में उतारा है. बताया जा रहा है कि वसुंधरा राजे के विकल्प के तौर पर उन्हें देखा जा रहा है, ताकि आगामी लोकसभा चुनाव में राजपूत मतदाताओं को साधा जा सके.