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जब हनुमान से बचने के लिए शनि ने किया स्त्री रूप धारण - बजरंग बली की पूजा

हनुमानजी के प्रसिद्ध रूपों में एक कष्टभंजन का रूप है. इसमें हनुमान जी के चरणों में शनिदेव स्त्री रूप धारण करके बैठे होते हैं. आइए जानें ऐसा क्या हुआ कि शनिदेव को हनुमान के चरणों में इस तरह महिला रूप धर के बैठना पड़ा.

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Published : Sep 24, 2019, 8:01 AM IST

जयपुर.कलयुग में श्री हनुमान जी की साधना सबसे सरल, सुगम और शीघ्र फलदायक है. हनुमान की भक्ति से किसी भी प्रकार के अनिष्ट ग्रहों के प्रकोप से मुक्ति मिल जाती है. बजरंग बली की पूजा करने से तमाम तरह के रोग, भय और संकट दूर होते हैं.

जब शनि ने किया स्त्री का रूप धारण

मान्यताओं के अनुसार एक समय जब शनिदेवजी का प्रकोप बहुत बढ़ गया था. जिससे मनुष्यों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. उनमें से बहुत सारे लोग हनुमानजी के परम भक्त थे. उन्होंने हनुमानजी से विनती की उन्हें शनिदेव के प्रकोप से बचाए.

बजरंग बली से खुद को बचाने शनि ने लिया महिला का रूप

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अपने भक्तों की शनिदेव के कारण ऐसी दशा देख कर उनसे रहा नहीं गया. वे क्रोधित होकर शनि देव के पास युद्ध करने चले गए. शनिदेव को जब यह पता चला की हनुमानजी उनसे उनके कर्मो का बदला लेने आ रहे है, तो अपने बचाव के लिए उन्हें सिर्फ एक ही युक्ति नजर आई. शनिदेव अच्छी तरह यह जानते थे कि हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी है. शरणागत स्त्री पर कभी हाथ नहीं उठा सकते. बस फिर क्या था. जैसे ही हनुमान शनि देव के पास आये. उन्होंने महिला रूप धारण कर लिया और उनके चरणों में लिपट कर क्षमा मांगी. साथ ही अपना प्रकोप बालाजी भक्तों से हटाने का वादा भी किया. तभी से कहा जाता है कि हनुमानजी के परम भक्तों पर शनिदेव का प्रकोप नहीं रहता.

राम के परम भक्त हनुमान की पूजा से सारे कष्ट दूर होते हैं

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हनुमान चालीसा की यह पंक्तियां महाकवि तुलसीदास जी के द्वारा बनाया गया था. यह पंक्तियां श्री राम को समर्पित थीं. यह चौपाईयां एक मंत्र की तरह चमत्कार को दिखाने वाली हैं. इन चौपाइयों में शक्तिशाली मंत्र की शक्ति भी छिपी हुई है. शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि हनुमान माता जानकी के बेहद प्रिय रहे हैं. इस कारण भी जहां रामचरितमानस, सुंदरकांड का पाठ होता है. वहां हनुमान सदैव उपस्थित रहते हैं. इन चौपाइयों को शुरू करने से पहले हाथ में नारियल और हनुमान जी को लगाने वाले भोग को हाथ में रखें. यह बाद में किसी ब्राह्मण को दान कर दें.

  • महाबीर बिक्रम बजरंगी| कुमति निवार सुमति के संगी।।
  • रामदूत अतुलित बलधामा| अंजनीपुत्र पवनसुत नामा।।
  • विद्यावान गुनी अति चातुर| राम काज करिबे को आतुर ||
  • लाय संजीवन लखन जियाए| श्रीरघुवीर हर्ष उर लाए।।

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