जयपुर.2025-26 में प्रदेश के 1 करोड़ 7 लाख घरों में नल के माध्यम से पेयजल उपलब्ध होने लगेगा. प्रदेश में अभी 75 प्रतिशत योजनाओं में सतही स्त्रोतों की उपलब्धता है. जल जीवन मिशन के तहत सभी परियोजनाएं पूरी होने पर राजस्थान में 90 फीसदी पेयजल सतही स्त्रोतों से उपलब्ध होने लगेगा. यह कहना है जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ सुबोध अग्रवाल का.
डॉ अग्रवाल ने बुधवार को जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के रसायनज्ञों की राज्य स्तरीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया. डॉ अग्रवाल ने ’स्टेटस रिपोर्ट ऑन ड्रिंकिंग वाटर क्वालिटी इन अरबन टाउन्स ऑफ राजस्थान 2022-23’ भी रिलीज की. उन्होंने कहा कि सतही जल आधारित 23 हजार करोड़ रूपए की पांच बड़ी पेयजल परियोजनाओं को मंगलवार को मंजूरी मिली है. जल जीवन मिशन के तहत मंजूर इन परियोजनाओं में राज्य सरकार की हिस्सा राशि 60 फीसदी जबकि केन्द्र की 40 फीसदी होगी. इन परियोजनाओं के पूरी होने के बाद प्रदेश के 11 जिलों के हजारों गांव भूजल से सतही जल आधारित योजनाओं पर आ जाएंगे और भूजल पर निर्भरता 10 फीसदी रह जाएगी.
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डॉ सुबोध अग्रवाल ने कहा कि जल जीवन मिशन में केन्द्र एवं राज्य सरकारों का उद्देश्य हर घर तक पीने योग्य पानी पहुंचाना है. मिशन के तहत हर घर तक जल पहुंचाने के लिए मौजूदा 130 करोड़ लीटर जल की जरूरत बढ़कर तीन गुना हो जाएगी. यह अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराने के साथ ही उपयोग में लिए गए पानी के लिए सही ड्रेनेज सिस्टम तैयार करना भी चुनौती होगी. उन्होंने पानी के उपयोग को लेकर आवश्यकताओं को सीमित करने, वाटर रिसाइकल, रियूज एवं वेस्ट वाटर डिस्पोजल के बारे में अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करने पर जोर दिया. उन्होंने पानी की गुणवत्ता जांच के लिए टेस्टिंग बढ़ाने के निर्देश दिए.