जयपुर. सम्मेलन कर राशन डीलरों ने यह चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे राशन वितरण की व्यवस्था को ठप कर देंगे. राशन डीलरों ने कहा कि कई जिलों में केरोसिन और बीपीएल परिवार की चीनी बंद कर देने से वे गेहूं के कमीशन पर ही निर्भर हैं. उनके परिवार का घर खर्च चलाना भी मुश्किल हो रहा है. सम्मेलन में राशन डीलरों ने प्रमुख रूप से कमीशन, छीजत अनुकंपा नियुक्ति आदि को लेकर विस्तृत रूप से चर्चा की.
राशन डीलरों के प्रदेश अध्यक्ष सरताज अहमद ने बताया कि हम 2016 से बायोमैट्रिक तरीके से काम कर रहे हैं. अन्नपूर्णा भंडार बंद होने, कई जिलों में केरोसिन बंद करने और बीपीएल परिवारों के चीनी बंद करने से आज हम गेहूं के कमीशन पर ही पूरी तरह से निर्भर हैं. आज हमारी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है और परिवार चलाना भी मुश्किल हो रहा है. सरताज अहमद ने कहा कि दुकान किराया और सहायक आदि का खर्चा मिलाकर पांच से छह हजार रुपये अलग से खर्चा हो जाता है. डीलर 50 क्विंटल गेहूं खरीदता है उससे 5 से 7 हजार ही आमदनी होती है. सरताज अहमद ने कहा कि हमने सरकार से आमदनी बढ़ाने, मानदेय तय करने और कमीशन बढ़ाने की मांग की है.
वहीं, सम्मेलन में छीजत को लेकर भी चर्चा हुई. सरताज अहमद ने कहा कि बायोमैट्रिक से पहले हमें एक किलो छीजत मिलती थी. सितंबर 2016 से वह भी बंद कर दी. अब हमें बाजार से अलग से गेहूं खरीदकर की छीजत की पूर्ति करनी पड़ रही है. इससे हमें नुकसान हो रहा है. एक हजार राशन डीलरों के मृतक के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति का इंतजार है. सरताज अहमद ने कहा कि 40 साल पुराने आदेश को बीजेपी ने 2016 में विलोपित कर दिया. एक हजार मृतक राशन डीलरों के आश्रित अनुकंपा नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं. खाद्य सुरक्षा का लाभ 2011 जनसंख्या के अनुसार दिया जा रहा है, उसी 2019 की जनसंख्या के आधार पर देने की मांग राशन डीलरों ने की है.