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6 पदक जीतने वाली विमला अपने हक के लिए काट रही निगम के चक्कर...4 महीने बाद भी नहीं मिली प्रोत्साहन राशि - दक्षिण कोरिया

वर्ल्ड फायर फाइटर गेम्स चुंगजु में 6 पदक जीतने वाली जयपुर की फायर फायटर्स विमला जग्रवाल इन दिनों नगर निगम के चक्कर काट रही है. दरअसल विमला अधिकारियों के अनदेखी की शिकार हुई है. नगर निगम की ओर से जो प्रोत्साहन राशि और अन्य सुविधाएं निगम के खिलाड़ियों को दी जानी चाहिए, उन्हें चार माह बाद भी नहीं मिली है.

4 महीने बाद भी नहीं मिली प्रोत्साहन राशि

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Published : Feb 11, 2019, 11:35 PM IST


जयपुर. फायरमैन विमला जग्रवाल... यह वहीं विमला जग्रवाल है जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 6 पदक जीतकर जयपुर के साथ साथ देश का नाम रोशन किया था. इन दिनों प्रोत्साहन राशि और पदोन्नति के लाभ के लिए विमला अधिकारियों के नगर निगम के चक्कर काट रही है. लेकिन निगम के अधिकारियों की अनदेखी के कारण अब वह हताश हैं.
प्रतियोगिता में नाम रोशन कर जयपुर लौटी विमला को नगर निगम से वाहवाही तो बहुत मिली, लेकिन खेल नीति 2013 के तहत मिलने वाली प्रोत्साहन राशि और पदोन्नति का लाभ देने की अधिकारियों की मंशा नहीं दिख रही. ऐसे में बीते 4 महीने से विमला अपने हक के लिए निगम अधिकारियों के चक्कर काट रही है.

4 महीने बाद भी नहीं मिली प्रोत्साहन राशि


दरअसल, साल 2018 में 11 से 17 सितंबर तक दक्षिण कोरिया में 13वीं वर्ल्ड फायर फाइटर गेम्स चुंगजु आयोजित हुई थी. इसमें 64 देशों के 6000 से ज्यादा फायर फाइटर्स ने भाग गया था. कुल 45 मेडल्स पाकर भारत इस प्रतियोगिता में सातवें पायदान पर रहा था. इस प्रतियोगिता में जयपुर नगर निगम की महिला फायरमैन विमला अग्रवाल ने ना सिर्फ हिस्सा लिया, बल्कि 6 मेडल भी अपने नाम किए. विमला ने शॉटपुट और हैमर थ्रो में स्वर्ण पदक, जबकि स्विमिंग, लेफ्ट हैंड आर्म्स रेसलिंग और ट्रेजर हंट में रजत पदक हासिल किया. इसके अलावा राइट हैंड आर्म्स रेसलिंग में विमला को एक कांस्य पदक भी मिला.

4 महीने बाद भी नहीं मिली प्रोत्साहन राशि


हैरत की बात यह है कि विमला इस प्रतियोगिता में अपने खर्चे से नगर निगम से अवकाश लेकर गई थी. इस बात की जानकारी उच्चाधिकारियों को भी है. बावजूद इसके देश का नाम रोशन करने वाली इस महिला कर्मचारी को उसके हक के लिए नगर निगम में रोजाना चक्कर लगवाए जा रहे हैं. यहां तक कि बीते साल 31 अक्टूबर को हुई नगर निगम की कार्यकारिणी समिति की बैठक में विमला की पदोन्नति का प्रस्ताव सरकार के पास भिजवाने का सर्वसम्मति से फैसला हुआ था. इसके साथ ही फायरमैन विमला को ऑन ड्यूटी मानते हुए दक्षिण कोरिया आने-जाने में खर्च की धनराशि भी देने का निर्णय हुआ था. इस रकम को देने में भी नगर निगम की लेखा शाखा अड़ंगे लगा रही है. पिछले 14 दिसंबर को विमला ने कार्मिक उपायुक्त को पत्र लिखकर राज्य सरकार से खेल नीति 2013 के तहत अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में पहला स्थान पाने पर दिए जाने वाले 5 लाख रुपए के अनुदान और पदोन्नति दिलवाने का आग्रह किया था.

4 महीने बाद भी नहीं मिली प्रोत्साहन राशि

इधर ईटीवी भारत से अपनी परेशानी को साझा करते हुए विमला ने कहा कि निगम प्रशासन की ओर से ना तो खेल नीति की पालना की जा रही है और ना ही उनके किए वादे को निभाया जा रहा है. ऐसे में निकट भविष्य में होने वाली दूसरी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जाने का अब उनका मन नहीं है. उन्होंने कहा कि आर्थिक स्थिति से मजबूत नहीं होने के बावजूद निगम प्रशासन का नाम रोशन करने के लिए उन्होंने काफी कुछ खर्च किया है. बावजूद इसके ना तो उन्हें प्रोत्साहन राशि मिली और ना ही इस बाबत किसी तरह का सम्मान मिल पाया है.

हालांकि इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए अग्निशमन समिति के चेयरपर्सन मुकेश लखियानी ने बताया कि 31 अक्टूबर को हुई कार्यकारिणी समिति में ही विमला को पदोन्नत करने का प्रस्ताव पास कर राज्य सरकार को भिजवाने का फैसला लिया गया था. साथ ही इस दौरान विमला का जो भी खर्च हुआ उसके बिल भी पास कराने के लिए निगम अधिकारियों को कहा गया है. उन्होंने कहा कि यदि इस काम में किसी निगम अधिकारी की चूक रही है तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी और अधिकारियों से नोट शीट लिख कर जवाब मांगा जाएगा. उन्होंने विमला को खेल नीति के तहत मिलने वाले प्रोत्साहन राशि को भी दिलवाए जाने की बात कही है.

आपको बता दें कि इससे पहले सितंबर 2001 में भी निगम के कर्मचारी राजेंद्र कुमार सैनी को तीन लाख रूपए का पारितोषिक देने का मुद्दा इसी तरह उठाया गया था. राजेंद्र कुमार एशियन बेल्ट वेट चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर लौटे थे. बहरहाल, अब इसी तरह का मसला 18 साल बाद एक बार फिर प्रकाश में आया है, जिसमें विमला जग्रवाल को न्याय मिलता है या नहीं ये देखने वाली बात होगी.

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