जयपुर. राजस्थान में बीजेपी सरकार द्वारा वर्ष 2016 में राज्य के निराश्रित, अपंग और वृद्ध गौवंश के संरक्षण के लिए गौ संरक्षण व संवर्धन अधिनियम बनाया गया था. इस अधिनियम के तहत राज्य की पंजीकृत गौशालाओं और कांजी हाउस में लावारिस गौवंश के पालन-पोषण के लिए सहायता राशि देने का प्रावधान किया, जिसके चलते स्टाम्प से होने वाली आय से 2016 से अब तक काफी राहत थी, लेकिन अब वर्तमान सरकार ने अन्य कारणों में खर्च के लिए नियम बना दिए हैं.
गौ संरक्षण व संवर्धन अधिनियम संशोधन के विरोध में VHP ने राज्यपाल को लिखा पत्र अब गोशालाओं को नेताओं और अधिकारियों पर निर्भर रहना होगा. इसके विरोध में विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश मंत्री सुरेश उपाध्याय और संत हरिशंकर वेदांती ने राज्यपाल कलराज मिश्र और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ज्ञापन सौंपा है. मीडिया से मुखातिब होते हुए सुरेश उपाध्याय ने कहा कि, राज्य में फिलहाल साढ़े तीन हजार गोशालाएं रजिस्टर्ड है उनमें करीब 1900 गौशालाओं को इसकी राशि मिलती है. लेकिन अब राज्य सरकार ने गौ संरक्षण और संवर्धन अधिनियम 2016 में संशोधन करने का प्रस्ताव लाया है जिसको निरस्त करने की मांग उठ रही है.
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वहीं, संत हरिशंकर वेदांती ने कहा कि गाय का निवाला छीनकर आपदा प्रबंधन में लगाना ठीक नहीं है. बल्कि सभी छोटी-बड़ी गौशालाओं को सहयोग राशि मिलनी चाहिए और सभी 365 दिन ही गाय और गौशालाओं को अनुदान दिया जाए. वेदांती ने कहा कि गौमाता के रूप में गाय को देखा जाता है और गायों के कोटे के पैसे गायों पर ही खर्च किया जाना चाहिए.
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वहीं, उन्होंने गौचर भूमि को संरक्षित करने की बात कही. उन्होंने कहा की ऐसे में यदि उनकी मांगों को राज्य सरकार अनसुनी करती है तो वो आंदोलन करेंगे.