जयपुर. देवनानी ने एक बयान जारी कर कहा है कि राज्य सरकार को शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय को गंभीरता से लेते हुए इस मामले का उचित समाधान निकालना चाहिए. कोरोना महामारी के कारण अभिभावकों के रोजगार प्रभावित हो रहे हैं तथा बच्चे भी विद्यालयों में अध्ययन के लिए नहीं जा पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में कई अभिभावकों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे अपने बच्चों की फीस जमा करवा सकें.
आगे देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार निजी विद्यालयों की फीस के सम्बंध में हाई कोर्ट के आदेश की पालना भी नहीं करवा पा रही है. कोर्ट के आदेशानुसार मात्र ट्यूशन फीस का 70 प्रतिशत शुल्क स्कूल फीस के रूप में लिया जा सकता है जबकि निजी स्कूल कहीं पूरी फीस तो कहीं ट्यूशन फीस के साथ अन्य शुल्कों को जोड़कर उसका 70 प्रतिशत वसूल रहे हैं. कई विद्यालय अभिभावकों पर दबाव बना रहे हैं कि पूरी फीस जमा नहीं कराने पर बच्चों के बोर्ड के फार्म नहीं भरवाए जाऐंगे.
उन्होंने कहा कि सरकार ने हाई कोर्ट के आदेशों की अवहेलना और सरकारी निर्देशों की पालना नहीं करने वाले प्रदेश के एक भी विद्यालय के विरूद्ध अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है जिससे कई निजी विद्यालय बिना किसी डर के अभिभावकों के शोषण पर उतारू है. उन्होंने कहा कि सरकार को एसे विद्यालयों के विरूद्ध तत्काल सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
कांग्रेस किसान विरोधी है-