जयपुर के कारोबारी ने निकाला सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल जयपुर. सिंगल यूज प्लास्टिक के कचरे के निस्तारण को लेकर आम धारणा के बीच यह माना जाता है कि इसे नष्ट नहीं किया जा सकता है और यह धरती को प्रदूषित भी कर रहा है. इस बीच जयपुर के एक कारोबारी इन दिनों सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल के बाद इसे रिसाइक्लिंग के जरिये उपयोगी बनाने में जुटे हुए हैं. डॉक्टर विवेक अग्रवाल ने वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में लंबे अरसे तक देश के कई प्रमुख शहरों में काम किया है. इसी बीच उन्हें प्लास्टिक के दोबारा से इस्तेमाल को लेकर रास्ता निकालने की ठानी और दिल्ली के नजदीक एक यूनिट तैयार करके कई दौर के परीक्षण के बाद प्लास्टिक की टाइल और प्लेट तैयार की . जिसके कई उपयोग हो सकते हैं.
शिमला की सड़कों से आया आइडिया : डॉक्टर विवेक अग्रवाल के मुताबिक सड़क निर्माण के दौरान जब प्लास्टिक का इस्तेमाल शिमला के रास्ते पर किया गया. तब से वे भी अन्य विकल्प तैयार करने की तैयारी में थे. जिस तरह से ठंड और बरसात के मुताबिक डामर में प्लास्टिक को मिलाकर तैयार की गई सड़कों में गुणवत्ता नजर आई. उसके बाद डॉक्टर अग्रवाल ने भी इस दिशा में काम करना शुरू किया. विवेक अग्रवाल के मुताबिक कचरे के निस्तारण की दिशा में हमारे देश में साल 2000 में जागरुकता आई थी और इसके बााद प्रधानमंत्री के आह्वान पर साल 2014 में इसे एक क्रांति के रूप में देखा गया. आज उसी क्रांति के कारण शहरों और कस्बों में घर-घर कचरा संग्रहण किया जा रहा है. जिसके लिए तय गाइडलाइन के मुताबिक गीला और सूखा कचरा कलेक्ट किया जाना होता है. अगर इसी दिशा में सिंगल यूज प्लास्टिक को भी पृथक्करण की प्रक्रिया में संग्रहित किया जाए, तो इसे दोबार उपयोग में लाया जाना आसान होगा. साथ ही इस पर लगने वाली लागत को भी कम किया जा सकता है.
प्लास्टिक वेस्ट से तैयार हो रहा है फर्नीचर 55 डिग्री तक तापमान सहने की क्षमता : सिंगल यूज प्लास्टिक के फिर से इस्तेमाल के लिये बनाये गए प्लास्टिक के प्रोडक्ट्स को आईआईटी रुड़की से भी परीक्षण करवाया गया. जिसके बाद तय देखा गया कि यह प्लास्टिक प्रोडक्ट 55 डिग्री तक के तापमान को आसानी से सहन कर सकते हैं. हालांकि इसे तैयार करने की प्रक्रिया शुरुआती दौर में कई चरणों की रही, पर बाद में यह काम भी आसान लगने लगा. डॉक्टर विवेक अग्रवाल ने बताया कि शुरुआत में उन्होंने प्लास्टिक से तैयार जिस शीट को बनाया. वह काफी मोटी परत वाली थी, लेकिन बाद में उन्होंने धीरे-धीरे इसकी परतों को कम करके मजबूती के साथ उसे पतला बनाने में कामयाबी हासिल कर ली. इस पतली परत के कारण की अब यह प्लास्टिक शीट सामान्य उपयोग में आसानी से आ सकेगी.
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भवन निर्माण और फ्लोरिंग में करेंगे इस्तेमाल : दिल्ली के कुछ स्कूलों ने डॉक्टर विवेक अग्रवाल से संपर्क किया था. जहां बच्चों ने वेस्ट मैनेजमेंट के लिए काम करने वाली डॉक्टर अग्रवाल की संस्था को घरों से निकलने वाला प्लास्टिक का कूड़ा उन्हें उपलब्ध करवाया था. इसके बाद अग्रवाल के संस्थान ने इन स्कूलों को प्लास्टिक वेस्ट से तैयार किया गया फर्नीचर मुहैया करवाया. जिसमें डस्टबीन, पेन , डायरी , मेज और कुर्सियां शामिल थे. वे बताते हैं कि आगे जाकर प्लास्टिक वेस्ट से घरों की दीवार और बाथरूम के फर्श को भी तैयार करने का प्लान बना रहे हैं. इस तरह से सिंगल यूज प्लास्टिक से तैयार फर्नीचर पर्यावरण को नुकसान से तो बचाएगा ही. साथ ही कम कीमत में रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाले सामान को हल्का और किफायती भी बना देगा.