जयपुर.पिछले 9 साल में फार्मासिस्ट के पद पर एक भी भर्ती (Unemployed pharmacists in Rajasthan) नहीं हुई है. आखिरी बार 2013 में 1209 पदों पर भर्ती हुई थी. इसके बाद 2018 में 1736 वैकेंसीज निकली, जिन्हें आगे चलकर निरस्त कर दिया गया और फिर 2019 व 2020 में कोरोना के कारण भर्तियां नहीं हो सकी. इस तरह 2014 से लेकर 2022 तक फार्मासिस्ट के पदों पर एक भी भर्ती नहीं हुई है. वहीं, अब राज्य सरकार की ओर से 2020 पदों पर वैकेंसी निकाली गई है.
मौजूदा आलम की बात करें तो प्रदेश में बी फार्मा और डी फार्मा करने वाले हजारों फार्मासिस्ट अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. इस बार भी सरकार ने जो भर्तियां निकाली हैं, वो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. एक तरफ सरकार की ओर से प्रदेश भर के अस्पतालों में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना (Chief Minister Free Medicine Scheme) चलाई जा रही है. लेकिन यहां भी प्रशिक्षित फार्मासिस्टों की भारी किल्लत है. फार्मासिस्ट एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारियों की मानें तो सरकारी दवा की दुकानों पर आज भी अयोग्य लोग दवा वितरित कर रहे हैं. इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन (Indian Pharmacist Association) के प्रदेश अध्यक्ष सर्वेश्वर शर्मा ने बताया कि राजस्थान में तेजी से फार्मासिस्ट रजिस्टर्ड हो रहे हैं. लेकिन आज भी रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट बेरोजगारी हैं.
आरोपों के घेरे में चिकित्सा विभाग एक नजर आंकड़ों पर
- प्रदेश में तकरीबन 66000 फार्मासिस्ट रजिस्टर्ड हैं.
- इनमें से महज 3000 को ही सरकार ने नौकरी दी है.
- 2018 में निकाली भर्तियों को निरस्त कर दिया गया.
- आखिरी बार 2013 में 1209 पदों पर भर्ती हुई थी.
- बीते 9 साल में एक भी फार्मासिस्ट की भर्ती नहीं हुई है.
- सरकार ने तकरीबन 18000 मुख्यमंत्री निशुल्क दवा वितरण केंद्र खोले हैं.
- इन केंद्रों पर सिर्फ 3000 फार्मासिस्ट को लगाया गया है.
- 15000 दवा वितरण केंद्र से आज भी फार्मासिस्ट नदारद हैं.
- अयोग्य लोगों के भरोसे प्रदेश के 15000 दवा केंद्र.
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वहीं, ऑल इंडिया मेडिकल स्टूडेंट्स एसोसिएशन यूनाइटेड के अध्यक्ष भरत बेनीवाल ने कहा कि प्रदेश में चिकित्सा विभाग की ओर से 1736 पदों पर फार्मासिस्ट भर्ती की लिखित परीक्षा होनी थी. इसके बाद कुछ नियमों की उलझन के कारण भर्ती लंबित पड़ी रही. दो बार भर्ती की परीक्षा तिथि भी घोषित हुई, लेकिन इसे निरस्त कर दिया गया. उन्होंने बताया कि भर्ती को लेकर भी अभ्यर्थियों की दो राय है. कुछ संविदा पर कार्यरत चाहते थे कि भर्ती मेरिट पर हो, लेकिन मेरिट से भर्ती होने पर अधिकतर अभ्यर्थी भर्ती से बाहर हो जाएंगे. उन्हें भर्ती में भाग लेने का मौका तक नहीं मिलेगा. भर्ती में फर्जीवाड़ा ना हो, इसके लिए उन्होंने भर्ती लिखित परीक्षा से कराने की अपील की, ताकि योग्य लोगों को मौका मिले.
आरोपों के घेरे में चिकित्सा विभाग बता दें कि राजस्थान सरकार ने हाल ही में भर्तियों में हो रहे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए विधानसभा में कानून पास किया है. लेकिन आरोप है कि चिकित्सा विभाग ने फर्जीवाड़े को बढ़ावा देने के लिए मेरिट बेस पर भर्तियां कराई जा रही है. जबकि प्रदेश में कई ऐसे विश्वविद्यालय हैं, जो केवल कागजों में ही चल रहे हैं. उन विश्वविद्यालयों से डिग्री लाकर मेरिट बेस पर अच्छी परसेंटेज बनाकर चिकित्सा विभाग खुद फर्जीवाड़ा (medical department under allegations) करवाना चाह रहा है.