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'हाइब्रिड मेयर' चुनने को लेकर यूडीएच मंत्री ने दिया 'संभावनाओं' का तर्क, विपक्ष ने कहा - काठ की हांडी एक बार ही चढ़ती है

राजस्थान में हाइब्रिड पद्धति से निकाय प्रमुख चुनने पर घमासान मचा हुआ है. कांग्रेस सरकार को विपक्ष के साथ-साथ अपनों ने भी घेर रखा है. यही वजह रही कि यूडीएच मंत्री को निकाय प्रमुख के बदले गए नियमों का कारण स्पष्ट करना पड़ा. उन्होंने एक संभावना को आधार बनाते हुए इस नियम को स्पष्ट करने की कोशिश की.

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Published : Oct 19, 2019, 8:27 AM IST

जयपुर.यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने संभावनाओं को आधार बनाकर हाइब्रिड फार्मूले से मेयर चुने जाने का तर्क दिया है. यूडीएच मंत्री का कहना है यदि किसी निकाय में एक दल का बहुमत आ गया. वहां मेयर की सीट ओबीसी की रिजर्व है और जीतने वाले पार्षदों में से एक भी ओबीसी का नहीं हुआ, तब बहुमत होते हुए भी वो दल अपना मेयर नहीं बना पाएगा. ऐसी स्थिति न आए, इसके लिए बाहरी व्यक्ति को मौका देने का फैसला लिया गया है.

मेयर चुनने को लेकर आपसी घमासान

यूडीएच मंत्री के इस बयान से विपक्ष तो क्या उनके अपने दल के कद्दावर नेता भी संतुष्ट नहीं है. यही वजह है कि इस हाइब्रिड मेयर पॉलिसी पर सवाल उठ रहे हैं. एक तरफ जहां कांग्रेस के विधायक और मंत्रियों ने इस पर सवाल उठाते हुए दोबारा रिव्यू करने की नसीहत दी. जिस पर यूडीएच मंत्री ने कहा कि विरोध करने वाले विरोध कर रहे हैं, सुझाव देने वाले सुझाव दे रहे हैं. ये हर चीज में होगा. हमने जो नियम बना दिया, हम उस पर कायम रहेंगे.

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बीजेपी विधायक अशोक लाहोटी ने भी अपने शब्दों में हाइब्रिड मॉडल को परिभाषित किया. उन्होंने कहा कि जो कांग्रेस के नेता गली-मोहल्ले के चुनाव भी नहीं जीत सकते और कलफ के कुर्ते पायजामे पहनकर महापौर बनने का सपना देख रहे हैं. उन्हें ये भान नहीं कि इस मॉडल में भी पार्षद ही महापौर चुनेंगे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस खरीद-फरोख्त करके मेयर बनाना चाहती है, लेकिन काठ की हांडी एक बार ही चढ़ती है, जयपुर की जनता समझदार है.

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आपको बता दें कि इस हाइब्रिड मेयर को लेकर प्रदेश के सीएम और डिप्टी सीएम भी आमने-सामने हो रखे हैं. एक तरफ सीएम ने इसका स्वागत किया है तो वहीं डिप्टी सीएम ने इसे व्यवहारिक नहीं बताया. ऐसे में फिलहाल सरकार के सामने विपक्ष के साथ-साथ अपनों को भी समझाना चुनौती बना हुआ है.

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