जयपुर शहर में इको फ्रेंडली ई-रिक्शा की शुरुआत कर दी गई, लेकिन परिवहन विभाग अभी तक उनके संचालन की नीति नहीं बना पाया. गाइडलाइन में खामियां होने के कारण ई-रिक्शा चालकों के लाइसेंस अभी तक नहीं बने हैं. वहीं, परिवहन विभाग जयपुर की जनता से ग्रीन टैक्स के नाम पर दो करोड़ रुपए हर महीने वसूल रहा है, लेकिन पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए किसी तरह की कोई गंभीरता नजर नहीं आ रही है.
दरअसल, जयपुर आरटीओ में रोज 30 से 40 ई-रिक्शा चालक लाइसेंस के लिए आवेदन कर रहे हैं, लेकिन आरटीओ की ओर से उन्हें बिना ट्रायल के ही वापस भेज दिया जाता है. इस तरह से जयपुर की सड़कों पर मजबूरन ई-रिक्शा चालकों को अवैध संचालन करना पड़ रहा है. ई-रिक्शा चालकों के मुताबिक परिवहन विभाग सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं होने की बात का हवाला देकर चालकों को वापस लौटा देता है. जानकारी के अनुसार, पिछले तीन सालों में जयपुर शहर में 12 हजार ई-रिक्शा रजिस्ट्रेशन हुए हैं.
शहर के यातायात को सुगम बनाने के लिए सबसे ज्यादा ई-रिक्शा संचालित हो रहे हैं. जनता को सुगम यातायात मिलने के बाद भी परिवहन विभाग चुप बैठा है. वहीं, यातायात पुलिस बिना लाइसेंस के ई-रिक्शा चलाने वाले चालकों पर कार्रवाई कर रहा है. परिवहन विभाग की लापरवाही के चलते ई-रिक्शा चालकों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. शहर में ई-रिक्शा शुरू करने के समय परिवहन विभाग ने उनके लिए परमिट और मार्ग तय करने की अनिवार्यता की थी. उनके लाइसेंस में भी मार्ग दर्शाना अनिवार्य किया गया था, लेकिन परिवहन विभाग ने नई गाइडलाइन निकालकर ई-रिक्शा के लिए परमिट की अनिवार्यता को खत्म कर दिया और लाइसेंस की गाइडलाइन में संशोधन नहीं किया.
ऐसे में लाइसेंस के लिए मार्ग तय होना जरूरी है, लेकिन बिना परमिट के मार्ग नहीं मिल पा रहे हैं. अगर परिवहन विभाग लाइसेंस की गाइडलाइन में भी संशोधन करें तो चालकों को राहत मिल सकेगी. परिवहन विभाग की अनदेखी के चलते ई-रिक्शा चालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अब चालक लर्निंग लाइसेंस तो बनवा रहे हैं, लेकिन स्थाई लाइसेंस के लिए आवेदन करने पर विभाग फीस वसूल रहा है और ट्रायल भी नहीं ले रहा. ऐसे में पैसों का भुगतान करने के बाद भी चालकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. ई-रिक्शा चालक पैसे चुका रहे हैं इसके बावजूद उनके लाइसेंस नहीं बन पा रहे.