जयपुर:अपराध के बढ़ते ग्राफ से आम जनता के साथ जयपुर पुलिस भी परेशान है. महकमे की काफी किरकिरी भी हो रही है. बढ़ती वारदातों को कंट्रोल कैसे किया जाए इसे लेकर विभाग ने रणनीति बनाई है. जिसके तहत राजधानी के अलग-अलग इलाकों में पेट्रोलिंग के साथ नाकाबंदी की व्यवस्था में थोड़ा बदलाव किया गया है.
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बदलाव के तहत नाकाबंदी का दायरा बढ़ा दिया है और थोड़ा बदल भी दिया है. वो ऐसे कि पहले जहां चिन्हित इलाके ही इसकी जद में थे वहीं अब कई और को इसमें शामिल किया गया है. यानी पुलिस इलाकों को ब्लॉक तो कर रही है लेकिन निश्चित एरिया को ही नहीं बल्कि बदल बदल कर अलग-अलग इलाकों में टीम पहुंच जा रही है. दोपहर और रात की नाकाबंदी में यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि शहर के तमाम प्रमुख मार्गों और क्षेत्रों को पूरी तरह से कवर किया जा सके.
सघन तलाशी और पैदल गश्ती पर ध्यान
नाकाबंदी के साथ ही प्रमुख मार्गों पर सशस्त्र जवान प्रत्येक वाहन की सघन तलाशी कर रहे हैं. इसके अलावा पुलिस के आला अधिकारी अलग-अलग थाना क्षेत्रों में जाकर शाम के वक्त अपनी टीम के साथ पैदल गश्त कर रहे हैं. जिस पर पुलिस कमिश्नरेट पूरी निगरानी रख रहा है. वहीं अभय कमांड सेंटर से भी शहर के चप्पे-चप्पे पर पैनी नजर रखी जा रही है.
चोरी से लेकर रोड रेश सिरदर्द
पुलिस के मुताबिक चोरी के साथ ही रोड रेश की घटनाओं पर नकेल कसने के लिए ही इस रणनीति पर काम हो रहा है. एडिशनल पुलिस कमिश्नर (क्राइम) अजय पाल लांबा का दावा है कि इससे क्राइम में कमी आएगी. उन्होंने इसका ब्योरा दिया. बताया- शहर में होने वाली पर्स स्नैचिंग, मोबाइल स्नैचिंग, चेन स्नैचिंग और लूटपाट की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए दो अलग-अलग पारियों में नाकाबंदी की जा रही है. इसके साथ ही वाहनों के ओवरटेक करने के दौरान होने वाले विवाद और रोड रेश की घटनाओं को देखते हुए भी नाकाबंदी की जा रही है.
दिन में 59 रात में 52!
लांबा कहते हैं- दोपहर के वक्त राजधानी जयपुर में 59 अलग-अलग स्थानों पर नाकाबंदी की जा रही है और रोजाना नाकाबंदी पॉइंट की लोकेशन को बदला जा रहा है. इसी प्रकार रात के समय शहर के 52 अलग-अलग स्थानों पर नाकाबंदी की जा रही है. इस दौरान संदिग्ध वाहन और संदिग्ध व्यक्ति की गहनता से तलाशी ली जा रही है. इसके अलावा शाम के वक्त बाजारों में होने वाली भीड़ भाड़ को देखते हुए प्रत्येक थाने के थाना अधिकारी पैदल गश्त कर रहे हैं. प्रत्येक जिले के डीसीपी, एडिशनल डीसीपी और एसीपी प्रतिदिन अलग-अलग थाना इलाकों में जाकर पैदल गश्त कर रहे हैं.
अब अपनी बदली रणनीति से पुलिस को भरोसा है कि आला अधिकारी को पैदल गश्त करता देख न केवल पुलिस फोर्स का हौसला बढ़ेगा बल्कि अपराधियों के हौसले भी पस्त होंगे. लांबा दावा करते हैं ऐसा दिखने भी लगा है.