जयपुर.राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर चल रहा सस्पेंस आखिरकार खत्म हो गया है. कांग्रेस ने अलवर ग्रामीण से विधायक टीकाराम जूली को नेता प्रतिपक्ष बनाया है, जबकि गोविंद सिंह डोटासरा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर बने रहेंगे. इस संबंध में आज अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने आदेश जारी किए हैं. टीकाराम जूली पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री भी रहे थे. जूली प्रदेश में कांग्रेस का प्रमुख दलित चेहरा हैं और कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य भंवर जितेंद्र सिंह के करीबी माने जाते हैं.
गहलोत सरकार में राज्यमंत्री से कैबिनेट मंत्री बने थे: टीकाराम जूली पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रहे. इसी सरकार में पहले वे राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे. उन्होंने दिसंबर 2018 में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की शपथ ली थी. बाद में साल 2021 में गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में उनका प्रमोशन कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग का जिम्मा दिया गया.
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तीन बार के विधायक, जिला प्रमुख भी रहे: 43 साल के टीकाराम जूली ने साल 2018 में अलवर ग्रामीण से चुनाव जीता था. इस बार भी वह अलवर ग्रामीण से चुनाव जीते हैं. इससे पहले वे अलवर के जिला प्रमुख भी रह चुके हैं. हालांकि, 2013 में हुए विधानसभा में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. 2013 के चुनाव में भाजपा के जयराम जाटव ने उन्हें 26 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था. इससे पहले साल 2008 में अलवर ग्रामीण विधानसभा सीट से ही उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव जीता था. उन्होंने तब चुनाव में भाजपा प्रत्याशी जगदीश प्रसाद को 8,525 वोट हराया था.
अशोक गहलोत ने दी बधाई: पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नेता प्रतिपक्ष चुने जाने पर टीकाराम जूली को बधाई दी है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया, 'कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे एवं अलवर ग्रामीण से विधायक टीकाराम जूली को नेता, कांग्रेस विधायक दल मनोनीत होने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप राजस्थान की जनता के हित की आवाज पुरजोर तरीके से विधानसभा में उठाएंगे.'
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इस पद पर पहुंचे पहले दलित नेता: राजस्थान में 1952 से लेकर अब तक के राजनीतिक इतिहास में पहली बार दलित वर्ग के किसी विधायक को प्रतिपक्ष का नेता बनाया गया है. कांग्रेस के परंपरागत दलित वोट बैंक को अपने साथ बनाए रखने के लिए लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस का यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है. वहीं, कांग्रेस ने गोविंद सिंह डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बरकरार रखकर लोकसभा चुनाव में दलित-जाट गठजोड़ का कार्ड भी खेला है.